ओंकारेश्वर में बुलडोजर की मार: गजानंद आश्रम के सामने उजड़ी गरीबों की रोज़ी-रोटी

Tuesday, Dec 30, 2025-06:42 PM (IST)

खंडवा (मुश्ताक मंसूरी) : धार्मिक नगरी ओंकारेश्वर में एक बार फिर प्रशासनिक कार्रवाई को लेकर गहरा आक्रोश देखने को मिल रहा है। गजानंद आश्रम के सामने के क्षेत्र में छोटे पथ विक्रेताओं के हाथ ठेलों पर चली बुलडोजर की कार्रवाई ने न केवल कई गरीब परिवारों की रोज़ी-रोटी छीन ली, बल्कि प्रशासन की मंशा और नीयत पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस कार्रवाई का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें एक ठेले को बुलडोजर से बेरहमी से तोड़ते हुए देखा जा सकता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस स्थान पर पूर्व में प्रभारी नगर परिषद सीएमओ रहे आईएएस अधिकारी कृष्णा सुसीर द्वारा छोटे व्यापारियों को 5-5 फीट की सीमित जगह में ठेले लगाकर व्यवसाय करने की अनुमति दी गई थी। इसी व्यवस्था के तहत वर्षों से दर्जनों गरीब परिवार यहां छोटे-मोटे व्यवसाय कर अपने परिवार का पालन-पोषण कर रहे थे।

CMO बदलते ही बदली नीति

आरोप है कि मोनिका पारधी के नगर परिषद सीएमओ बनने के बाद, एसडीएम पुनासा पंकज वर्मा के साथ मिलकर इस व्यवस्था को अचानक अतिक्रमण घोषित कर दिया गया। बिना वैकल्पिक व्यवस्था और बिना मानवीय दृष्टिकोण अपनाए सीधे बुलडोजर चला दिया गया, जिससे हाथ ठेले पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए।

पीड़ित व्यापारियों का कहना है कि ठेले ही उनकी पूंजी थे। किसी ने कर्ज लेकर ठेला बनवाया था तो किसी ने वर्षों की मेहनत से। एक ही झटके में सब कुछ खत्म हो गया और कई परिवार बेरोजगार हो गए।

वायरल वीडियो ने बढ़ाया आक्रोश

कार्रवाई का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद लोगों में गुस्सा और बढ़ गया है। वीडियो में साफ दिखाई दे रहा है कि बिना किसी संवेदनशीलता के गरीबों के ठेलों को चकनाचूर किया जा रहा है। सोशल मीडिया पर लोग इसे “आस्था नगरी में अमानवीय कार्रवाई” बता रहे हैं।

बदले की भावना का आरोप

स्थानीय नागरिकों और व्यापारियों का आरोप है कि यह कार्रवाई ममलेश्वर लोक को लेकर ओंकारेश्वरवासियों द्वारा किए गए विरोध प्रदर्शन के बाद प्रशासन को मिली असहज स्थिति का बदला है। लोगों का कहना है कि प्रशासन जनता के विरोध से नाराज है और उसी का खामियाजा अब गरीब छोटे पथ विक्रेताओं को भुगतना पड़ रहा है।

प्रशासन पर उठे गंभीर सवाल

स्थानीय लोगों का सवाल है कि—जब पूर्व में विधिवत अनुमति दी गई थी तो उसे अचानक अतिक्रमण कैसे घोषित किया गया?
क्या किसी भी ठेला संचालक को लिखित नोटिस या पुनर्वास का विकल्प दिया गया?
धार्मिक नगरी में विकास के नाम पर गरीबों को बेरोजगार करना क्या प्रशासनिक संवेदनशीलता कहलाएगा?

रोज़गार उजड़ा, भरोसा टूटा

इस कार्रवाई ने ओंकारेश्वर में प्रशासन और आम जनता के बीच भरोसे की खाई और गहरी कर दी है। पीड़ित परिवारों का कहना है कि यदि जल्द ही उन्हें पुनः व्यवसाय करने की अनुमति या मुआवजा नहीं मिला, तो वे आंदोलन के लिए मजबूर होंगे।

आस्था और श्रद्धा की नगरी ओंकारेश्वर में बुलडोजर की यह तस्वीरें केवल ठेलों के टूटने की नहीं, बल्कि गरीबों के सपनों और पेट की आग की कहानी कह रही हैं। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस आक्रोश को गंभीरता से लेकर मानवीय और न्यायपूर्ण समाधान निकालता है या फिर यह मामला भी फाइलों में दबकर रह जाएगा।


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Content Writer

meena

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