दुर्ग में चॉकलेट का लालच देकर बच्ची से रेप, बेटे का पिता ने भी दिया था साथ, अदालत ने सुनाई सजा

Wednesday, Sep 17, 2025-05:53 PM (IST)

खैरागढ़। (हेमंत पाल): मासूमियत कभी-कभी इतने गहरे ज़ख्म दे जाती है कि उसका निशान उम्रभर नहीं मिटता। खैरागढ़ जिले के गंडई थाना क्षेत्र से साल 2023 में सामने आया एक ऐसा ही दिल दहला देने वाला मामला, जिसने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया था। अब, करीब दो साल बाद न्यायपालिका ने उस दरिंदे को उसकी घिनौनी करतूतों की ऐसी सज़ा दी है, जो आने वाले समय में एक नज़ीर बन सकती है।

"अंकल" के चॉकलेट जाल में फंसी बचपन की मुस्कान

आरोपी संजय गोस्वामी उर्फ मंगलू, पेशे से दुकानदार था। बाहरी तौर पर वह मोहल्ले के बच्चों में ‘अंकल’ जैसी छवि बनाए हुए था। वह बच्चों से हंसकर बात करता, उन्हें कभी टॉफी तो कभी चॉकलेट देकर लुभाता। लेकिन इस मुस्कुराते चेहरे के पीछे एक हैवान छुपा बैठा था।

एक दिन, उसने अपने ही मोहल्ले की पांच साल की एक मासूम बच्ची को चॉकलेट का लालच दिया। पहले दोस्ती की, भरोसा जीतने की कोशिश की। फिर एक दिन, उसी भरोसे को हथियार बनाकर उसे एक सुनसान ईंट भट्ठे पर ले गया। वहां उस मासूम के साथ जो कुछ हुआ, वह इंसानियत को शर्मसार कर देने वाला था।

PunjabKesariमासूम पर टूटा हैवानियत का कहर

दरिंदे ने बच्ची को न केवल शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया, बल्कि उसे धमकी दी कि अगर किसी से कुछ कहा, तो जान से मार डालेगा। सहमी, डरी हुई बच्ची किसी तरह घर पहुंची, लेकिन उसकी आंखों की बेचैनी और चेहरे की उदासी ने उसकी चुप्पी को तोड़ दिया। जब मां-बाप ने प्यार से पूछा, तो बच्ची ने टूटी-बिखरी जुबान में उस वहशीपन की दास्तां बयां की।

तेज़ कार्रवाई, मज़बूत पैरवी और ऐतिहासिक फैसला

परिवार ने तुरंत गंडई थाने में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने भी देर नहीं की — आरोपी संजय गोस्वामी को तत्काल गिरफ्तार किया गया। मामला विशेष पॉक्सो अदालत में पहुंचा। सुनवाई विशेष अपर सत्र न्यायाधीश मोहिनी कंवर की अदालत में हुई, जहां अभियोजन पक्ष ने ऐसे पुख्ता सबूत और गवाह पेश किए कि संजय के बच निकलने की कोई गुंजाइश ही नहीं बची।

क़ानून ने सुनाई दरिंदे को उम्रकैद

अदालत ने संजय गोस्वामी को भारतीय दंड संहिता की धारा 376(AB), 376(2)(i), 506 और पॉक्सो एक्ट की धारा 4 व 6 के तहत दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास (उम्रकैद) की सज़ा सुनाई। यह फैसला उन तमाम बच्चों के लिए एक ढाल की तरह है जो अपने आसपास के "परिचितों" से ही सबसे ज़्यादा खतरे में होते हैं।

न्याय से मिला संदेश: "मासूमियत के साथ खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं"

यह केवल एक अपराधी को सजा देने का मामला नहीं, बल्कि समाज में एक ठोस संदेश देने का प्रयास है — कि बच्चों के साथ किसी भी प्रकार की दरिंदगी को समाज और कानून, दोनों ही कभी माफ़ नहीं करेंगे।


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Content Editor

Himansh sharma

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