हिंदू कानून के तहत मुस्लिम महिला को गुजारा भत्ता देने से कोर्ट का इंकार

7/12/2018 10:20:56 AM

जबलपुर : ‘कोई मुस्लिम महिला हिन्दू मैरिज एक्ट की धारा 24 और सीपीसी की धारा 151 के तहत अपने पति से गुजारा भत्ता लेने की हकदार नहीं हो सकती'। इस टिप्पणी के साथ मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने रीवा निवासी एक पति के पक्ष में आदेश पारित करते हुए निचली अदालत के फैसले को निरस्त कर दिया।

हाईकोर्ट जस्टिस वंदना कासरेकर की एकलपीठ के समक्ष प्रस्तुत की गई अपील में रीवा जिले के ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी। इसमें एक मुस्मिल महिला को अदालत ने हिन्दू मैरीज एक्ट की धारा 24 और सीपीसी की धारा 151 के तहत 2,500 रुपये प्रतिमाह की दर से गुजारा भत्ता दिए जाने के आदेश दिए थे।

यह था मामला
दरअसल रीवा जिले के सिरमौर निवासी मोहम्मद हसन ने अपने से दूर रह रही पत्नी के साथ संबंधों की पुनर्स्थापना के लिए जिला अदालत में याचिका दायर की थी। मामले में जब मोहम्मद हसन की पत्नी को नोटिस जारी हुए तो, जवाब देने से पहले उसने हिन्दू मैरिज एक्ट की धारा 24 के तहत गुजारा भत्ता देने का दावा ठोक दिया। इस आवेदन पर सुनवाई करते हुए सिरमौर ट्रायल कोर्ट ने पत्नी के पक्ष में फैसला देते हुए पति मोहम्मद हसन को अपनी पत्नी को प्रतिमाह 2,500 देने के आदेश दिए। इस आदेश के खिलाफ मोहम्मद हसन हाईकोर्ट पहुंचे, जहां से उन्हें राहत मिली है।

खास बात यह है कि मध्य प्रदेश का यह अब तक का ऐतिहासिक फैसला माना जा रहा है, क्योंकि यह मध्य प्रदेश का पहला और देश का तीसरा मामला है, जिसमें अदालत ने मुस्लिम महिला के कानूनी अधिकारों को स्पष्ट किया है।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Prashar

Recommended News

Related News