आखिरकार परिवार से मिला पूर्व चीनी सैनिक वांग शी, भावुक पल हुए कैमरे में कैद
9/14/2019 6:34:57 PM
बालाघाट(हरीश लिलहारे): परिवार और वतन के बीच जुझते 80 साल के पूर्व चीनी सैनिक वांग शी उर्फ रायबहादुर का बालाघाट के तिरोड़ी में रहने वाले अपने परिवार से आखिरकार शुक्रवार को मिलन हो ही गया। मिलन का यह क्षण बेहद भावुक था। जिसको देखने के लिए तिरोड़ी के कई लोग गवाह बने तो वहीं चीन से वांग शी के साथ तिरोड़ी पहुंची दो महिला पत्रकार भी इस पल कि साक्षी बनी। यहां उनके साथ हिन्दी और चीनी भाषा को अनुवाद करने वाले दिल्ली के खास गाईड भी मौजूद थे। भारत और चीन दो देशों के बीच इस चीनी सैनिक और उसके परिवार के वीजा को लेकर अग्निपरीक्षा अभी भी बाकि है।
बता दे कि 1963 के भारत चीन युद्ध के दौरान वांग शी को भारतीय सीमा के अंदर घूसने के चलते युद्ध बंदी के तहत उन्हें जेल भेज डाल दिया गया था। जेल से छूटने के बाद 1970 के आसपास वांग शी ने तिरोड़ी में ही शादी करके अपना घर बसा लिया था। जिसका आज दो पीड़ियों का परिवार तिरोड़ी में रहता है। पहले वतन की वापसी के लिए 54 साल तक चीन जाने के लिए लंबे संघर्ष बाद वींजा मिलते ही पूर्व चीनी सैनिक वांग शी उर्फ रायबहादुर की खुशी का कोई ठिकाना नही था। दो वर्ष का वीजा मिलने के बाद 2017 में वांग शी चीन पहंचे 2019 में वीजा समाप्त होने के बाद मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले के तिरोड़ी में अपने परिवार से हजारों किलोमीटर दुर चीन में वांग शी अकेले हो गए थे।
अब परिवार के साथ मिलने के लिए चीन के वीजिंग के भारतीय दुतावास में कई महिनों तक संघर्ष करने के बाद दो सिंतबर को उन्हें छह माह का मल्टीवीजा जारी किया गया और आखिरकार वे अपने दो पीढ़ी के परिवार से मिलने शुक्रवार को तिरोड़ी पहंचे। इस पूर्व चीनी सैनिक के वतन वापसी से लेकर फिर परिवार से मिलन का यह नजारा अपने आप में खास था। जिसे देखने के लिए स्थानीय लोगों के अलावा वांग शी के साथ आई दो महिला पत्रकारों ने भी इस क्षण को कैमरे में कैद करती रही। अभी भी वांग शी और उनके परिवार की मांग है कि 5 साल का मल्टीवींजा मिल जाए।
देश की हिफाजत के लिए सैनिक चाहे देश का हो या अन्य किसी देश का वतन की चाह और परिवार दोनों उसके लिए बेहद खास होते है। जब मामला एक तरफ वतन और एक तरफ परिवार का हो तो लड़ाई में सैनिक वतन को चुनकर शहादत कबूल कर लेता है। लेकिन जीते जी वतन और परिवार के बीच लंबे संघर्ष के बाद भी जूझ रहे इस चीनी सैनिक कि दास्तां को देखकर यही लगता है कि चाहे वतन कि बात हो या तिरोडी मे रहने वाले परिवार कि दोनो के बीच मानो मिलन अभी आधा अधुरा है।
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