कोतवाल ने छिपाई कोतवाल की गलती, दोनों को भुगतनी पड़ी सजा, एक निलंबित, दूसरी से छिना थाना

1/19/2021 5:08:42 PM

ग्वालियर (अंकुर जैन): ग्वालियर में एक युवक के चाचा ने ग्वालियर व दतिया के पुलिस अधीक्षकों को शिकायती पत्र भेजकर बताया कि 15 जनवरी को दतिया कोतवाली के थाना प्रभारी रत्नेशसिंह यादव अचानक निजी काम से ग्वालियर आए। इस दौरान सिविल ड्रेस में उनका विवाद उनके भतीजे से हुआ। इस पर उन्होंने ग्वालियर में कंपू थाना प्रभारी इंस्पेक्टर अनीता मिश्रा की मदद से शिकायतकर्ता के भतीजे को पकड़ा और कंपू थाने में रिपोर्ट लिखाए बगैर दतिया ले गए। रत्नेश यादव ने वहां उनके भतीजे के विरुद्ध आर्म्स एक्ट के तहत कार्रवाई कर उसे हवालात में बंद कर दिया।

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कोतवाल को गलती छुपाना पड़ा महंगा...
दतिया के कोतवाल की गलती ग्वालियर के कंपू थाने की प्रभारी इंस्पेक्टर ने छिपाई तो सजा दोनों को भुगतनी पड़ी। जिसके बाद दतिया के कोतवाल को निलंबित कर दिया गया, जबकि कंपू थाने की इंस्पेक्टर से थाने का प्रभार छीनकर पुलिस लाइन का रास्ता दिखा दिया गया। घटना ग्वालियर में घटी, केस दतिया में दर्ज किया और अवैध तरीके से दतिया की हवालात में बंद रखा।

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दबंगई की खुन्नस में TI की मनमानी, शान में गुस्ताखी करने वाले को भेजा जेल ...  
दतिया के कोतवाल रत्नेश यादव मुख्यालय छोड़ने की सूचना दिए बगैर निजी काम से अचानक ग्वालियर पहुंचे। ग्वालियर के कंपू थाना क्षेत्र में किसी युवक से उनका विवाद हुआ। टीआई यादव के मुताबिक युवक ने उनसे मोबाइल छीन लिया। हालांकि बाद में वह मोबाइल कंपू थाने पहुंचा दिया गया। रत्नेश यादव की पुलिसिया दबंगई को यह बेहद नागवार गुजरा। उन्होंने तुरंत पीछा कर संदेही सोम उर्फ शुभम भार्गव निवासी गुढ़ा-गुढ़ी का नाका को पकड़ा, और इसकी सूचना कंपू थाना प्रभारी अनिता मिश्रा को दी। उन्होंने पुलिसबल भेजा, लेकिन रत्नेश ने इस मामले की रिपोर्ट कंपू थाने में नहीं लिखाई, शुभम भार्गव को कंपू पुलिस के सुपुर्द करने के स्थान पर रत्नेश अपने साथ दतिया ले आए। यहां शुभम के विरुद्ध मोबाइल छीनने की जगह दतिया थाने में आर्म्स एक्ट की धाराएं लगाईं, और उसे पहले हवालात में बंद रखा फिर जेल भेज दिया। दोनों पुलिस अधीक्षकों ने पाया कि उनके अफसर गलती पर शिकायत पर दोनों पुलिस अधीक्षकों ने जांच को तो पाया कि टीआई रत्नेश यादव ने नियमों का उल्लंघन किया। सर्वप्रथम उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों को सूचना दिए बगैर मुख्यालय छोड़ा। उन्हें मोबाइल छीनने की शिकायत कंपू थाने में विधिवत दर्ज करानी थी, और आरोपी को वहीं सुपुर्द कर देना था। एक तरीका यह भी हो सकता था कि दतिया थाने में शून्य पर रिपोर्ट कायम कराते और डायरी आरोपी समेत कंपू पुलिस को भेज देते। कंपू पुलिस विधिवत कार्रवाई कर आरोपी को गिरफ्तार करती, क्योंकि घटनास्थल कंपू थाने में ही था। कंपू थाने की प्रभारी अनीता मिश्रा की गलती सामने यह आई कि सारे घटनाक्रम की जानकारी होते हुए भी उन्होंने ने वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत नहीं कराया।

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कंपू थाने में रिपोर्ट कराते तो खुद की गलती उजागर होती...
जानकारों के मुताबिक कंपू के बजाय दतिया में रिपोर्ट करने के पीछे रत्नेश यादव का मकसद बगैर बताए हेड ऑफिस छोड़ने की गलती छिपाना था। रत्नेश यादव के ज़ेहन में बैठी पुलिसिया दबंगई शुभम की गुस्ताखी को जेल तक पहुंचाने की खुन्नस पाल बैठी थी। शुभम को हर हाल में फंसाने के लिए उन्होंने अपने थाने पर लाकर मोबाइल छीनने के मामूली अपराध की जगह आर्म्स एक्ट के कुछ ज्यादा गंभीर आरोप में जेल भिजवा दिया। आरोपी ने बताया मोबाइल नहीं छीना, बस बहस हुई थी। आरोपी शुभम और शिकायत करने वाले उसके चाचा के अनुसार लूट कभी हुई ही नहीं। सिर्फ टीआई के साथ बहस हुई थी और उसके बाद हाथापाई हो गई। वे वर्दी में नहीं थे, हमें क्या पता कौन है। चाचा उमेश भार्गव ने भतीजे के साथ हुई घटना की जानकारी पुलिस अधिकारियों को दी तो छानबीन शुरू हो गई। मामला सही निकला तो दोनों अफसरों पर गाज गिर गई।


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Vikas Tiwari

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