''बीजेपी में फूट'': गंडई नगर पंचायत के अध्यक्ष खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित, कांग्रेस सामने ला सकती है अपनी ओर से नया नाम
Tuesday, Mar 22, 2022-04:25 PM (IST)

राजनांदगांव (बसंत शर्मा): राजनांदगांव की राजनीति में उथल-पुथल का दौर जारी है। बीते दिनों छुईखदान नगर पंचायत (Chhuikhadan Nagar Panchayat) अध्यक्ष डॉ. रुपाली जैन के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाकर उन्हें कुर्सी से हटा दिया गया था। वहीं अब गंडई नगर पंचायत (Gandai Nagar Panchayat) अध्यक्ष बीजेपी के श्यामलाल ताम्रकार (shyamlal taamrakaar) के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित कर नगर पंचायत अध्यक्ष के पद से उन्हें भी हटा दिया गया है।
श्यामलाल ताम्रकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव
नगर पंचायत गंडई के भाजपा और कांग्रेसी पार्षदों ने मिलकर नगर पंचायत अध्यक्ष को उनके पद से हटा दिया है। बीते 7 मार्च को नगर पंचायत के 7 कांग्रेस पार्षदों समेत भाजपा के 4 पार्षदों ने मिलकर गंडई नगर पंचायत (Gandai Nagar Panchayat) अध्यक्ष श्यामपाल ताम्रकार के खिलाफ कलेक्टर को अविश्वास प्रस्ताव के लिए आवेदन किया था। जिसके बाद आज गंडई एसडीएम (Gandai SDM) की उपस्थिति में नगर पंचायत गंडई (Gandai Nagar Panchayat) के सभागार में पूरे 15 वार्ड के पार्षदों की उपस्थिति में अविश्वास प्रस्ताव के लिए वोटिंग किया गया।
11 पार्षदों ने अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में किया वोट
गहमागहमी के बीच भाजपा के नगर पंचायत अध्यक्ष श्यामपाल ताम्रकार (shyamlal taamrakaar) के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के लिए वोटिंग हुई। इस दौरान 15 पार्षद में से 11 पार्षदों ने अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में मतदान किया और अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ अध्यक्ष के पक्ष में सिर्फ 4 पार्षदों ने ही वोट दिया। जिससे नगर पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित हो गया।
बीजेपी के श्यामलाल ताम्रकार की जीत
इससे पहले 15 वार्ड वाले गंडई नगर पंचायत (Gandai Nagar Panchayat) में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टी के पास 7-7 पार्षदों का बराबर बहुमत हथा। वहीं एक निर्दलीय पार्षद के भाजपा खेमे में जाने से यहां नगर पंचायत अध्यक्ष पद पर बीजेपी के श्यामलाल ताम्रकार की जीत हुई थी। शुरुआत में सब कुछ ठीक चल रहा था। लेकिन कुछ महीनों में यहां की अंतरकल्हा खुलकर सामने आने लगी।
अंतरकलह का कांग्रेस ने उठाया फायदा
अध्यक्ष की कार्यप्रणाली को लेकर उनके ही पार्टी के पार्षदों में विरोध के स्वर उठने लगे। जिसका सीधा फायदा कांग्रेस ने उठाया और अविश्वास प्रस्ताव को लेकर भाजपा के 4 पार्षदों को अपने पक्ष में कर लिया। भारतीय जनता पार्टी के इन 4 पार्षदों ने कांग्रेस के साथ अपना हाथ मिलाकर अपने ही पार्टी के अध्यक्ष की कुर्सी गिरा दी।