एंजटों के सामने ईवीएम के नंबरों से खुले एरिया वोट के राज, जनता के लिए नुक्सान

12/13/2018 10:10:29 AM

इंदौर: मतदान से लेकर मतगणना तक सभी राजनीतिक दल ईवीएम की सुरक्षा को लेकर लगातार सवाल उठाते रहे हैं, लेकिन इसकी सुरक्षा के साथ ही एक बड़ी समस्या आम आदमी की वोट को लेकर हैं। क्योंकि मंगलवार को मतगणना के दौरान जैसे-जैसे ईवीएम खुल रही थीं, प्रत्याशियों के एजेंटों को पहले से ही पता चल जाता था कि किस मौहल्ले ने उन्हें वोट दिए और कहां के मतदाताओं ने उनका साथ छोड़ दिया।

इसका कारण यह है कि मतदान के दौरान हर बूथ की ईवीएम को एक नंबर दिया जाता है, जो दलों को पता रहता है। ईवीएम से वोटों की गिनती के दौरान प्रत्याशी का एजेंट नोट करता है कि किस केंद्र की यह मशीन है और यहां से किस प्रत्याशी को कितने वोट मिले हैं। इससे हर केंद्र का हिसाब प्रत्याशी को लग जाता है कि उसे कितने वोट मिले। 

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शहरी सीमा में एक बूथ पर अधिकतम 1400 और ग्रामीण क्षेत्र में 1200 मतदाता होते हैं। जिले में प्रतिशत के हिसाब से एक मतदान केंद्र पर अधिकतम 570 वोटों की गिनती हुई है। राजनीतिक दल इन वोटों के गणित से पता कर लेते हैं कि किसने उन्हें वोट दिया या नहीं दिया। जिसका सीधा नुक्सान आम जनता को होता है क्योंकि संबधिंत दल उन्हें सरकारी सुविधाओं से वंचित भी रख सकता है।

हालांकि निर्वाचन आयोग ने इस समस्या से निजात पाने के लिए 2008 मेंं एक मशीन टोटलाइजर बनाई थी जो सभी टेबल की ईवीएम को जोड़कर वोट बताने के लिए थी। जिससे एरिया के हिसाब से वोटिंग का पता नहीं चलता था लेकिन राजनीतिक दलों ने इससे सहमती नहीं जताई।

 

 


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ASHISH KUMAR

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