हिम्मत की नई मिसाल: तीन अंगों से दिव्यांग शिक्षक बच्चों का कर रहे भविष्य रोशन, पूरा गांव सीख रहा हौसले का पाठ
Saturday, Nov 15, 2025-02:23 PM (IST)
डिंडोरी। (सुरेंद्र सिंह): हिम्मत अगर सच्ची हो, तो शरीर की सीमाएँ भी रास्ता नहीं रोक सकतीं। डिंडोरी जिले के सहजपुरी गांव में रहने वाले अतिथि शिक्षक भगवानदीन इसका जीता-जागता उदाहरण हैं। दोनों हाथ और एक पैर से दिव्यांग होने के बावजूद वे बच्चों को पढ़ा रहे हैं और अपने परिवार की जिम्मेदारी भी बखूबी निभा रहे हैं।
ये हैं भगवानदीन धुर्वे, जो 2013 से प्राथमिक शाला, सहजपुरी गांव में अतिथि शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं। शारीरिक रूप से दिव्यांग होने के बावजूद इनकी लगन और हिम्मत के आगे हर मुश्किल छोटी पड़ जाती है। वे रोज़ स्कूल पहुंचकर बच्चों को शिक्षा का पाठ पढ़ाते हैं और अपने कर्म से साबित करते हैं कि सच्ची लगन के आगे शरीर की कमी मायने नहीं रखती।
बच्चे इन्हें आदर्श मानते हैं और बड़ी रुचि के साथ इनकी क्लास अटेंड करते हैं। स्कूल में पदस्थ एक अन्य अतिथि शिक्षक ने बताया कि स्कूल से लौटने के बाद भगवानदीन घर का सारा काम भी खुद करते हैं। उन्होंने बताया कि जो मानदेय उन्हें अतिथि शिक्षक के रूप में मिलता है, उसी से वे अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं। आर्थिक स्थिति चाहे सीमित हो, लेकिन इनके आत्मविश्वास और हौसले में कोई कमी नहीं है।
बच्चे कहते हैं कि भगवानदीन सर बहुत अच्छा पढ़ाते हैं और हम उनसे बहुत कुछ सीखते हैं।
सहजपुरी गांव के भगवानदीन जैसे शिक्षक समाज के लिए मिसाल हैं। वे साबित करते हैं कि सच्ची ताकत शरीर में नहीं, बल्कि इरादों में होती है। मामले में सहायक आयुक्त जनजातीय कार्य विभाग, राजेंद्र जाटव ने भगवानदीन को सम्मान देने का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा कि दिव्यांग होने के बावजूद भगवानदीन जैसे शिक्षक से अन्य शिक्षकों को बहुत कुछ सीखना चाहिए और विभाग की ओर से उन्हें हर संभव मदद दी जाएगी।

