विकास से वंचित परसकोल ग्राम पंचायत की दुर्दशा! पानी, सफाई और बिजली के लिए परेशान ग्रामीण, जिम्मेदार मौन
Thursday, Oct 09, 2025-02:05 PM (IST)

दुर्ग (हेमंत पाल) : दुर्ग जिले के जनपद पंचायत धमधा अंतर्गत आने वाला ग्राम पंचायत परसकोल आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। जहां एक ओर सरकार गांवों को स्मार्ट और स्वावलंबी बनाने की दिशा में करोड़ों रुपए खर्च कर रही है, वहीं परसकोल गांव की हालत देखकर लगता है कि विकास यहां केवल कागज़ों तक सीमित रह गया है।
पानी के लिए भटकते ग्रामीण
गांव में जल संकट भयावह रूप ले चुका है। अधिकांश बोरिंग बंद पड़े हैं और जो एकमात्र बोरिंग काम कर रहा है, वह भी अक्सर खराब हो जाता है। ग्रामीणों का कहना है कि बार-बार शिकायत करने के बावजूद प्रशासनिक स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
सफाई व्यवस्था चरमराई
गांव की नालियों में गंदगी जमी है, जिससे मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया है। ग्रामीणों ने बताया कि सरपंच पति देवकुमार पटेल गांव में मनमानी और दबंगई करते हैं। लोगों में भय का माहौल है और कोई भी खुलकर अपनी बात कहने की हिम्मत नहीं जुटा पाता।
बिजली व्यवस्था भी दयनीय
गांव के कई बिजली खंभों में बल्ब नहीं हैं। शाम ढलते ही पूरा गांव अंधेरे में डूब जाता है। अंधेरी और दलदली गलियों से गुजरना खासकर महिलाओं और बच्चों के लिए चुनौती बन गया है।
पारधी परिवारों की त्रासदी
गांव से करीब एक किलोमीटर दूर रह रहे पारधी परिवारों को पानी भरने के लिए रोज पैदल गांव तक आना पड़ता है। बारिश के मौसम में कीचड़ से भरे रास्ते बच्चों की स्कूल जाने की राह को कठिन बना देते हैं।
गांव में विकास सिर्फ कागज़ों पर
ग्रामीणों का आरोप है कि परसकोल में विकास कार्य केवल कागज़ों में दर्ज हैं। ज़मीनी सच्चाई इससे बिल्कुल अलग है। गांव में सरपंच गायत्री बाई पटेल, सचिव छन्नू लाल वर्मा और सरपंच पति देवकुमार पटेल की मनमानी से लोग परेशान हैं। लोग मीडिया के सामने खुलकर नहीं बोलते, लेकिन जब हमारी टीम ने स्टिंग ऑपरेशन किया तो ग्रामीणों ने गांव की हकीकत बयान की।
प्रशासन का जवाब
इस मामले में धमधा सीओ किरण कुमार कौशिक ने कहा कि गांव की स्थिति की जांच के लिए दो सदस्यीय टीम गठित कर दी गई है, और दोषियों पर उचित कार्रवाई की जाएगी। पूरा मामला ग्राम पंचायत परसकोल, नगर पंचायत धमधा का है। यह रिपोर्ट गांव की वास्तविक स्थिति को उजागर करती है जो यह सवाल उठाती है कि आखिर सरकारी योजनाओं के बावजूद ग्रामीण विकास क्यों पिछड़ रहा है?