फिर अधर में लटका परसा कोयला खदान का काम, सैंकड़ों लोगों को रोजी रोटी का संकट
Wednesday, May 04, 2022-01:08 PM (IST)

अंबिकापुर: परसा कोयला परियोजना को लेकर शुरुआत में कुछ हलचल के बाद सैकड़ों ग्रामीणों द्वारा रोजगार की आस जागने लगी थी, वहीं परियोजना के काम में एक बार फिर अवरोध की जानकारी मिलते ही खदान के सैकड़ों समर्थक पुनः नौकरी की मांग के लिए आंदोलनरत हो गए है। ग्राम फत्तेपुर, जनार्दनपुर, घाटबर्रा, हरिहरपुर इत्यादि के ग्रामीणों ने लगातार मंगलवार को भी परसा खदान को शुरू कराने और बाहरी एन जी ओ के खिलाफ जम कर नारे लगाए। उनके द्वारा जारी वीडियो में सभी ने बैनर और पोस्टर के साथ परसा खदान के स्वागत और पेशेवर विरोधियों और उनके झूठे दावों का बहिष्कार करने के साथ परसा खदान चालू करो चालू करो के नारे लगाए।
परसा खदान के लिए जमीन देने वाले मोहर साय ने कहा कि "परसा खदान में मेरा जमीन का अधिग्रहण हो चुका है। परसा खदान खुलना चाहिए और मुझे और मेरे लड़के को भी नौकरी मिलना चाहिये।" एक अन्य विडियो में "बाहरी लोग आते है और भड़काते है उन्हें हटा दिया जाए और परसा खदान को खोलकर हम बेरोजगार भाइयों को नौकरी दिया जाए। हम सभी खदान का समर्थन करते हैं।" यह ग्राम हरिहरपुर के निवासी ठाकुर प्रताप सिंह उराव ने कहा। राम सिंह उइके ने कहा की मेरी जमीन अधिग्रहित हो चुकी है और अब मुझे नौकरी मिलना चाहिए। सभी आंदोलनकारियों द्वारा बाहरी लोगों को बाहर भगाने के नारे के साथ तुरंत कार्रवाई की मांग भी की गई।
राज्य में रोजगार सृजन के लिए मुख्यमंत्री कर रहे जतन !
एक तरफ जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल राज्य में निवेशकों को रोजगार बढ़ाने के लिए आकर्षित करने की मेहनत कर रहे हैं। तब देश विदेश के निवेशकों के लिए कुछ मुट्ठी भर लोगों द्वारा परियोजनाओं का विरोध राज्य सरकार और सरगुजा के स्थानीय तंत्र को शर्मिंदा करने वाली है। क्या भारत जैसे शांतिप्रिय और विकासशील देश में जब हर एक नागरिक आत्मनिर्भर भारत की ओर कदम बढ़ा रहा है, तब इस तरह के विरोध को उकसाने या हवा देने वालों को एक सोची समझी साजिश के तहत विकसित देशों से करोड़ों रुपए के कमाई करने के लिए तो नहीं की जा रही है? यह भारत और छत्तीसगढ़ की जनता के लिए एक गहन सोच और अध्ययन का विषय है।