BSF के DG विवेक जौहरी बने MP के नए DGP लेंगे VK सिंह की जगह

3/6/2020 11:50:23 AM

भोपाल: वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी विवेक जौहरी को मध्य प्रदेश पुलिस के महानिदेशक पद पर नियुक्त किया गया है। कमलनाथ सरकार ने गुरुवार को एक आदेश जारी कर इसकी जानकारी दी। इसके साथ ही अब तक पुलिस महानिदेशक के पद पर रहे वीके सिंह को अगले आदेश तक खेल एवं युवा कल्याण विभाग में संचालक के पद पर नियुक्त किया गया है।

वहीं गृह विभाग की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि जब तक विवेक जौहरी कार्यभार ग्रहण नहीं करते तब तक विशेष पुलिस महानिदेशक (साइबर सेल) राजेंद्र कुमार अपने कार्य के साथ ही पुलिस महानिदेशक पद का अतिरिक्त कार्यभार भी संभालेंगे। जानकारी के अनुसार विवेक जौहरी अभी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से लौटेंगे। जिसके बाद उन्हें अगले आदेश तक अस्थाई तौर पर पुलिस महानिदेशक के पद पर नियक्ति किया जाता है।

वहीं सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार हर राज्य को यूपीपीएससी के तय किए 3 नामों के पैनल में से डीजीपी को चुनना होता है। सरकार में आते ही सीएम कमलनाथ ने 1984 बैच के सीनियर आईपीएस वीके सिंह को डीजीपी बनाया था। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का पालन करते हुए बाद में सरकार ने कई नामों का पैनल यूपीपीएससी को भेजा था। इन्हीं नामों में से यूपीपीएससी ने डीजीपी के पद के लिए 1984 बैच के आईपीएस अधिकारी वीके सिंह, विवेक जौहरी और मैथिलीशरण गुप्ता के नाम का पैनल बनाकर सरकार को भेजा था। डीजीपी वीके सिंह से नाराज चल रही सरकार ने इस पैनल को मानने से इनकार कर दिया और कहा कि विवेक जोहरी से लिखित में सहमति नहीं ली गई। इसलिए सरकार फिर से यूपीपीएससी को नया प्रस्ताव बनाकर भेजेगी।

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यूपीपीएससी ने सरकार के इस रवैया को साफ तौर से मानने से इंकार कर दिया और भेजे गए उसी पैनल में से डीजीपी के लिए एक नाम को मांगा। बताया जा रहा है कि सरकार पहले ही वीके सिंह से नाराज चल रही थी और ऐसे में हॉर्स ट्रेडिंग मामले का सही इंटेलिजेंस इनपुट नहीं मिलने की वजह से यह कदम उठाया। भोपाल के रहने वाले हैं वीके जौहरी 1984 बैच के आईपीएस अफसर हैं। जौहरी भोपाल के रहने वाले हैं। लंबे समय से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर है। बीजेपी सरकार के दौरान केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से कुछ समय के लिए मध्य प्रदेश लौटे थे और एडीजी इंटेलिजेंस के पद पर काम किया। सीएम के ओएसडी भी रहे थे। जोहरी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर महत्वपूर्ण पदों पर रहे। उन्होंने लंबे समय तक आईबी और रॉ में काम किया।

बता दें कि वीके सिंह ने हनी ट्रैप मामले में बिना सरकार को सूचना दिए एसआईटी का गठन किया था। साथ ही उन पर पुलिस विभाग में सरकार की मंशा के खिलाफ फेरबदल करने का आरोप भी है। वहीं बड़ी संख्या में विधायकों के दिल्ली पहुंचने का इनपुट और इंटेलिजेंस रिपोर्ट में भी फेल साबित हुए। कई मौकों पर गृहमंत्री बाला बच्चन के कई निर्देशों को नहीं माना। सरकार वीके सिंह से लंबे समय से नाराज चल रही थी। सीएए प्रदर्शन के दौरान जबलपुर में हुई घटना से भी सरकार नाराज थी।

केंद्र सरकार केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से जौहरी को मध्य प्रदेश वापस भेजने से इनकार करती है तो बड़ा पेंच फंस सकता है। सरकार ने इसीलिए सबसे खास और करीबी हनी ट्रैप केस के एसआईटीसी राजेंद्र कुमार को प्रभारी डीजीपी बनाया है। जब तक विवेक जोहरी मध्य प्रदेश नहीं आ जाते तब तक राजेंद्र कुमार प्रभारी डीजीपी बने रहेंगे। सरकार स्पेशल डीजी मैथिलीशरण गुप्त को पसंद नहीं करती है इसलिए उन्हें डीजीपी नहीं बनाएगी। वीके सिंह को सरकार हटाना चाहती थी, इसलिए उसके सामने एक ही रास्ता था कि वह विवेक जोहरी को डीजीपी बना दें। यदि विवेक जौहरी नहीं आते हैं तो फिर से सरकार डीजीपी के नामों का प्रस्ताव भेजेगी और इन नामों में राजेंद्र कुमार को शामिल किया जाएगा और तीन नामों के पैनल में फिर वीके सिंह, मैथिलीशरण गुप्त के साथ राजेंद्र कुमार का नाम जुड़ जाएगा। ऐसे में जब पैनल सरकार के पास आएगा तो सरकार राजेंद्र कुमार को डीजीपी बना सकती है।


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Edited By

Jagdev Singh

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