छिंदवाड़ा में 15 दिनों में 6 बच्चों की मौत.. भड़के कमलनाथ, बोले- भ्रष्टाचार छोड़कर स्वास्थ्य के लिए कुछ करे सरकार

Wednesday, Oct 01, 2025-06:47 PM (IST)

छिंदवाड़ा: मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में एक रहस्यमय बीमारी बच्चों के लिए जानलेवा साबित हो रही है। अब तक इस बीमारी से 6 मासूम बच्चों की मौत हो चुकी है। सभी बच्चों में समान लक्षण देखे गए हैं, जो चिंता बढ़ा रहे हैं।

बीमारी के लक्षण
शुरू में हल्का बुखार आता है। इसके बाद बच्चों का यूरिन पास होना बंद हो जाता है। धीरे-धीरे किडनी फेलियर के कारण मौत हो जाती है। जिला प्रशासन इस बीमारी के कारण और स्रोत को समझने में असमर्थ है। दिल्ली से मेडिकल टीम को बुलाया गया है, जो अब तक सैंपल लेकर जांच कर रही है, लेकिन रिपोर्ट अभी प्राप्त नहीं हुई है। प्रारंभिक जांच में छिंदवाड़ा मेडिकल टीम ने दो कफ सिरप को संभावित कारण के तौर पर देखा। इसके चलते प्रशासन ने इन कफ सिरपों पर अस्थायी प्रतिबंध लगा दिया है। बीमारी के डर से माता-पिता हल्का बुखार आने पर भी बच्चों को सीधे नागपुर ले जा रहे हैं। इसके कारण नागपुर में छिंदवाड़ा के बच्चों की बड़ी संख्या में भर्ती बढ़ गई है।

सरकार पर बरसे कमलनाथ... 
मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा में मात्र 15 दिनों में 6 मासूम बच्चों की जान चली गई। इनकी मौत का कारण किडनी फेल होना बताया गया और जांच में सामने आया कि बच्चों को दिया गया कफ सिरप ही उनकी मौत का कारण बना। यह सिर्फ एक हादसा नहीं बल्कि हमारी स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली का सबूत है। पहला मामला 24 अगस्त को सामने आया और 7 सितंबर को पहली मौत हुई। इसके बाद एक-एक कर मौतें होती रहीं। लेकिन प्रशासन ने दवा पर रोक लगाने में देरी की और तब तक 6 मासूमों की जान जा चुकी थी। यह सरकार की घोर लापरवाही को उजागर करता है। स्पष्ट है कि मध्यप्रदेश की सरकार का ध्यान जनता की ज़िंदगी पर नहीं बल्कि ठेकेदारी और कमीशनखोरी पर है। दवाओं की खरीद से लेकर अस्पतालों की व्यवस्थाओं तक सब जगह पैसों का खेल चल रहा है। अगर समय रहते दवा को रोका जाता तो ये मौतें टल सकती थीं। स्वास्थ्य सेवाओं की हालत इतनी खराब है कि बच्चों को सही इलाज तक नहीं मिल पाया। खून की जांच में यह बात साफ हो गई कि कोई वायरल इंफेक्शन नहीं था, बल्कि दवा की गड़बड़ी ने मासूमों की जान ले ली। अब सवाल यह है कि दवाओं की गुणवत्ता की जांच क्यों नहीं होती? बच्चों की मौत के बाद ही कार्रवाई क्यों होती है? आखिर स्वास्थ्य बजट का पैसा कहाँ जा रहा है? यह त्रासदी केवल छिंदवाड़ा की नहीं है, बल्कि पूरे प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था का सच है। अगर सरकार का ध्यान केवल  विज्ञापनों और कमीशन पर रहेगा तो और भी मासूम इस लापरवाही की भेंट चढ़ेंगे। जनता को अब सरकार से जवाब मांगना होगा कि आखिर हमारी स्वास्थ्य सेवाएं कब सुधरेंगी।


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Content Writer

Vikas Tiwari

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