जीतू के लिए चैलेंज बनी कांग्रेस की अंदरूनी कलह! क्या डैमेज कंट्रोल कर पाएंगे कांग्रेस अध्यक्ष
Wednesday, Oct 15, 2025-12:47 PM (IST)
भोपाल : जहां एक और कांग्रेस संगठन सृजन की बात कर रही है, वहीं दूसरी ओर मध्य जिला और शहर अध्यक्षों की नियुक्ति उनके गले की हड्डी बन गई है। एक और प्रदेश में कफ सिरप से मौते, सिवनी हवालाकांड, भोपाल के पोस्टर, दमोह में जातिवाद मामला और ग्वालियर में अंबेडकर मूर्ति विवाद ये सारे मुद्दे गर्माए हुए हैं और कांग्रेस को एकजुट होने की जरूरत हैं, वहीं दूसरी ओर जीतू पटवारी के लिए उज्जैन कांग्रेस एक नए बखेड़ा कर दिया है।
उज्जैन की बात करें तो कांग्रेस दो फोड़ होती दिखाई दे रही है। ‘संगठन सृजन’ प्रक्रिया के जरिए नए अध्यक्षों की नियुक्ति पर पार्टी के भीतर विरोध लगातार बढ़ता जा रहा है। पार्टी की अंदरूनी कलह अब खुलकर सामने आने लगी है। इसी क्रम में उज्जैन के कांग्रेस नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को भोपाल पहुंचा और पार्टी के वरिष्ठ नेता अजय सिंह से मुलाकात की।
उज्जैन में दो गुटों में बंटी कांग्रेस
उज्जैन कांग्रेस इस वक्त दो गुटों में बंटी हुई है। एक गुट नए अध्यक्षों की नियुक्ति का समर्थन कर रहा है, जबकि दूसरा गुट इसका विरोध कर रहा है। हालांकि कांग्रेस हाईकमान ने सख्ती बरतते हुए विरोध करने वाले नेताओं को पार्टी ने अनुशासनहीनता का नोटिस भी जारी किया है। आरोप है कि इन नेताओं ने उज्जैन में समानांतर कांग्रेस संगठन चलाने की कोशिश की।
अनुशासनहीनता नोटिस झेल रहे नेता पहुंचे भोपाल
जिन नेताओं को नोटिस मिला है, उनमें चेतन यादव, माया त्रिवेदी, हेमंत चौहान, पूर्व विधायक मुरली पोरवाल, दीपक मेहरे, गब्बर कुंवावल, रवि शुक्ला, रमेश परिहार, मुजीब, श्रवण शर्मा और राजेश त्रिवेदी शामिल हैं। ये सभी भोपाल पहुंचकर अजय सिंह से संगठन सृजन और नेतृत्व चयन की प्रक्रिया को लेकर अपनी शिकायतें दर्ज कराने पहुंचे।
क्या डैमेज कंट्रोल में सफल होंगे जीतू
ऐसे में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी के उज्जैन कांग्रेस एक बड़ा चैलेंज बनकर उभर रही है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि जीतू पटवारी कांग्रेस नेताओं को एकजुटता का पाठ पढ़ाने में सक्षम हैं। क्योंकि मध्य प्रदेश के दिग्गज नेताओं की बात करें तो पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी जीतू पटवारी की तारीफ की है और उनकी सक्रियता की सराहना की है।
अंदरूनी कलह से संगठन पर असर
कांग्रेस के अंदर चल रही यह गुटबाजी और अनुशासनहीनता के आरोप पार्टी की संगठनात्मक एकता पर असर डाल सकते हैं। सूत्र बताते हैं कि आने वाले दिनों में राज्य नेतृत्व इस पूरे विवाद पर समीक्षा बैठक कर सकता है और जिन नेताओं ने खुलकर विरोध किया है, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई भी संभव है।

