पूर्व CM के बेटे को लेकर ED का खुलासा, कहा- शराब घोटाले के गिरोह का मुखिया था, 1000 करोड़ रुपये का प्रबंधन किया
Tuesday, Sep 16, 2025-09:09 PM (IST)

रायपुर: छत्तीसगढ़ में 2,500 करोड़ के शराब घोटाले को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अपनी अभियोजन शिकायत में दावा किया है कि छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल इस घोटाले के पीछे के गिरोह के मुखिया रहे और उन्होंने इस घोटाले से अर्जित लगभग 1000 करोड़ रुपये का व्यक्तिगत रूप से प्रबंधन किया। ईडी ने सोमवार को जिला एवं अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (षष्टम) डमरुधर चौहान की अदालत में दायर अपनी चौथी पूरक अभियोजन शिकायत (आरोपपत्र) में दावा किया कि चैतन्य ने जानबूझकर अपराध से अर्जित आय को छिपाने, कब्जे में लेने, अधिग्रहण करने और इसका उपयोग करने में सहायता की और गिरोह के अन्य सदस्यों के साथ साजिश रची। कथित तौर पर 2,500 करोड़ रुपये से अधिक का शराब घोटाला 2019 और 2022 के बीच हुआ था, जब छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार का शासन था।
ईडी ने अब तक इस मामले में एक अभियोजन शिकायत और चार पूरक अभियोजन शिकायतें दर्ज की हैं और दावा किया है कि कथित घोटाले के परिणामस्वरूप राज्य के खजाने को ‘भारी नुकसान' हुआ और एक शराब गिरोह के लाभार्थियों की जेबें भरी गईं। सोमवार को दायर अभियोजन शिकायत में ईडी ने कहा कि 2019 में छत्तीसगढ़ में नई (कांग्रेस) सरकार के गठन के बाद, एक संगठित शराब गिरोह बनाया गया था।
इस गिरोह के दिन-प्रतिदिन के संचालन को संभालने के लिए, तत्कालीन आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा और व्यवसायी अनवर ढेबर (दोनों को मामले में ईडी द्वारा दायर पिछली अभियोजन शिकायतों में आरोपी के रूप में नामित किया गया है) का चयन किया गया था।
अभियोजन शिकायत में कहा गया है, ‘‘इस ‘सिंडिकेट' (गिरोह) में शीर्ष स्तर पर चैतन्य का नियंत्रण था, और उसकी भूमिका केवल प्रतीकात्मक ही नहीं, बल्कि प्रभावशाली और निर्णायक भी थी। वह सिंडिकेट द्वारा एकत्रित सभी अवैध धन का ‘हिसाब' रखने के लिए जिम्मेदार था। धन के संग्रह और वितरण से संबंधित सभी बड़े फैसले उसके (चैतन्य के) निर्देशों के तहत लिए जाते थे। मुख्यमंत्री के बेटे के रूप में उनकी स्थिति ने उन्हें सिंडिकेट का नियंत्रक बना दिया।'' इसमें कहा गया है, ‘‘जांच से यह भी पता चला है कि चैतन्य बघेल अपराध की आय के प्राप्तकर्ता हैं, जिसे उन्होंने अपनी रियल एस्टेट परियोजना में लगाया है और वे इस प्रकार विकसित की गई इन संपत्तियों को बेदाग संपत्ति के रूप में पेश कर रहे हैं और उन पर दावा कर रहे हैं।''
अभियोजन शिकायत में कहा गया है कि जांच से पहले ही पता चला है कि अपराध की आय का एक बड़ा हिस्सा लक्ष्मी नारायण बंसल उर्फ पप्पू नामक व्यक्ति द्वारा एकत्र किया जा रहा था, जिसने ईडी के समक्ष अपने बयान में खुलासा किया है कि उसने चैतन्य के साथ मिलकर शराब घोटाले से अर्जित एक हजार करोड़ रुपये से अधिक की आय को संभाला था। इसमें कहा गया है कि उन्होंने (बंसल ने) स्पष्ट रूप से कहा है कि चैतन्य के निर्देश पर, 2019 से 2022 के बीच की अवधि में कांग्रेस के राज्य इकाई के तत्कालीन कोषाध्यक्ष राम गोपाल अग्रवाल और अन्य को बड़ी मात्रा में नकदी पहुंचाई गई थी। अभियोजन शिकायत में कहा गया है कि बंसल कथित तौर पर दीपेन चावड़ा के माध्यम से अनवर ढेबर से अपराध की यह आय एकत्र करते थे और उसके बाद चैतन्य के समन्वय से ये धनराशि राम गोपाल अग्रवाल तक पहुंचाई जाती थी।
इसमें कहा गया है कि बंसल ने अपने बयान में खुलासा किया कि वह भूपेश बघेल को पिछले 25 सालों से जानते हैं और दोनों के पारिवारिक संबंध हैं। उन्होंने कहा कि वह नियमित रूप से रायपुर स्थित मुख्यमंत्री आवास जाते थे। रायपुर स्थित मुख्यमंत्री आवास की ऐसी ही एक यात्रा के दौरान, भूपेश बघेल ने उन्हें (बंसल को) स्पष्ट रूप से बताया था कि अनवर ढेबर उन्हें कुछ 'सामान' भेजेंगे, और उसे आगे रामगोपाल अग्रवाल तक पहुंचाना होगा। इसके बाद, चैतन्य बघेल अनवर ढेबर से नकदी की कथित आपूर्ति से एक दिन पहले उन्हें सूचित करते थे। उन्होंने स्पष्ट किया कि ‘सामान' शब्द नकदी के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक सांकेतिक शब्द है।'' अग्रवाल फिलहाल फरार हैं।
अभियोजन शिकायत में कहा गया है कि चैतन्य शराब गिरोह का केंद्रीय व्यक्ति और नियंत्रक था, जो इससे जुड़ी कमाई पर सीधा नियंत्रण रखता था, अवैध धन के प्रवाह की निगरानी करता था, और अपराध की आय का उपयोग व्यक्तिगत और व्यावसायिक उपक्रमों के लिए करता था। इसमें कहा गया है कि चैतन्य बघेल ने अपनी रियल एस्टेट परियोजना, विट्ठल ग्रीन में 18.90 करोड़ रुपये और अपनी रियल एस्टेट फर्म मेसर्स बघेल डेवलपर्स एंड एसोसिएट्स में 3.10 करोड़ रुपये की आपराधिक आय का उपयोग किया था।
अभियोजन शिकायत में कहा गया है कि जांच में आरोपियों के मोबाइल फोन से व्हाट्सएप चैट के रूप में महत्वपूर्ण डिजिटल साक्ष्य भी बरामद किए गए हैं। बरामद चैट से यह भी पता चलता है कि चैतन्य बघेल खातों के निपटान, बैठकों के समय निर्धारण और धन के सुचारु हस्तांतरण के लिए अनवर ढेबर और मुख्यमंत्री कार्यालय में तत्कालीन उप सचिव सौम्या चौरसिया के साथ सक्रिय रूप से समन्वय कर रहे थे।
राज्य की आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (ईओडब्ल्यू)/भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने पिछले साल 17 जनवरी को 'शराब घोटाले' में एक प्राथमिकी दर्ज की थी, जो 2023 के विधानसभा चुनावों में भाजपा द्वारा मौजूदा कांग्रेस सरकार को हराने के लगभग एक महीने बाद दर्ज की गई थी। इस प्राथमिकी में पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा और पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड सहित 70 व्यक्तियों और कंपनियों को नामजद किया गया है। ईओडब्ल्यू/एसीबी ने अब तक इस मामले में कई आरोपियों के खिलाफ एक आरोप पत्र और चार पूरक आरोप पत्र दायर किए हैं। 30 जून को दायर अंतिम पूरक आरोप पत्र में ईओडब्ल्यू/एसीबी ने दावा किया कि गिरोह द्वारा 2563 करोड़ रुपये से अधिक की आपराधिक आय अर्जित की गई है। ईडी ने जांच के आधार पर दावा किया है कि अपराध की पूरी आय तत्कालीन अधिकारियों और राज्य के तत्कालीन सत्तारूढ़ दल यानी छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रभारियों द्वारा एकत्रित और हड़पी जा रही थी। ईडी ने मामले में अपनी जांच के तहत जनवरी में पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता कवासी लखमा के अलावा अनवर ढेबर, भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी अनिल टुटेजा, भारतीय दूरसंचार सेवा (आईटीएस) के अधिकारी अरुणपति त्रिपाठी और कुछ अन्य को गिरफ्तार किया था।