कमलनाथ की बंद योजना को शुरु करके घिर गई मोहन सरकार, किसानों ने खोला मोर्चा, जगह जगह हो रहा विरोध
Monday, Oct 06, 2025-01:46 PM (IST)

भोपाल : मध्यप्रदेश में किसानों और सरकार के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है। खाद की कमी से जूझ रहे किसान सरकार की एक और योजना को लेकर परेशान दिखाई दे रहे हैं। ताजा विवाद मुख्यमंत्री मोहन यादव की सरकार द्वारा भावांतर भुगतान योजना को लेकर फिर से शुरु किए जाने पर खड़ा हुआ है। इसके विरोध में प्रदेश के अलग-अलग जिलों में किसान अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर उतर आए हैं। खास बात यह है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ा संगठन भारतीय किसान संघ (BKS) भी सरकार की नीतियों से नाराज़ दिख रहा है।
किसानों का कहना है कि सरकार उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर सीधे फसल खरीदने की बजाय भावांतर के नाम पर टाल रही है। किसान चाहते हैं कि सरकार सीधे एमएसपी (MSP) पर खरीदी करे, जबकि प्रशासन उन्हें मंडियों में फसल बेचकर अंतर का पैसा देने की योजना लागू कर रहा है।
क्या है भावांतर योजना
भावांतर योजना ऐसी व्यवस्था है, जिसमें अगर बाजार में किसी फसल की कीमत एमएसपी से कम रहती है और सरकार उस फसल की सीधी खरीदी नहीं करती, तो किसानों को एमएसपी और बाजार मूल्य के बीच का अंतर दिया जाता है।
उदाहरण के तौर पर, केंद्र सरकार ने इस साल सोयाबीन का एमएसपी 5328 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। लेकिन बाजार में किसान को केवल 4328 रुपये प्रति क्विंटल तक का भाव मिल रहा है। ऐसे में सरकार यह अंतर यानी 1000 रुपये प्रति क्विंटल किसानों को देने का दावा कर रही है।
हालांकि, इसके लिए किसान को अनिवार्य रूप से मंडी में बिक्री और पंजीयन कराना जरूरी है। किसान संगठन इसे जटिल और देर से भुगतान वाली प्रक्रिया बता रहे हैं। उनका आरोप है कि सरकार यह योजना किसानों की आय बढ़ाने की बजाय एमएसपी की सीधी गारंटी से बचने का तरीका बना रही है।