Chambal में क्यों बढ़ रहा है gun culture, मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा बंदूकें इसी इलाके से, अधिकारियों से लेकर मंत्री, सांसद और विधायक भी रखते हैं इसका शौक

4/3/2022 7:13:15 PM

ग्वालियर (अंकुर जैन): चंबल में हथियारों को हमेशा ही स्टेटस सिंबल माना जाता रहा है। यहां की जीवनशैली में हथियार को गन कल्चर के रुप में देखा जाता है। कंधे पर लाइसेंसी बंदूक होना ही चाहिए। चाहे इसके लिए जमीन बेचनी पड़े या किसी ओर तरीके से लेनी पड़ी। यदि लाइसेंसी नहीं है, तो अवैध हथियार तो होगा चाहिए। यही कारण है कि मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा बंदूकें चंबल इलाके में हैं। आज हालात यह हैं कि ग्वालियर में लाइसेंसी हथियार 33 हजार 700 तक पहुंच गए हैं। यह संख्या प्रदेश के 52 जिलों में सर्वाधिक है। अगर अनुमान लगाया जाएं, तो ग्वालियर के हर 8वें व्यक्ति के पास बंदूक है, जो घातक है। इससे आप समझ सकते हैं कि यहां का गन कल्चर इन लोगों के लिए कितना मायने रखता है। 

चंबल संभाग में कितना पुराना है गन कल्चर  

एक दुल्हनियां जो अपनी नई जिंदगी शुरू कर रही है। लेकिन शादी के स्टेज पर फायरिंग कर रही है। बस यही से शुरू होता है गन कल्चर। ग्वालियर और चंबल अंचल में बंदूक का स्टेट्स। ग्वालियर और चंबल में हथियारों की संख्या करीब डेढ़ लाख है। यह प्रदेश में जारी लाइसेंस का 38 फीसदी है। इससे साफ जाहिर होता है कि हथियारों का सबसे ज्यादा क्रेज ग्वालियर और चंबल संभाग में है। लोग अपना घर बेचकर या गिरवी रखकर भी हथियार खरीद लेते हैं। मौजूदा स्थिति में फेसबुक - व्हाट्सएप जैसे सोशल मीडिया में एक्टिव जेनरेशन में भी विरासत में मिले हथियारों का क्रेज नजर आ रहा है। 

ग्वालियर अंचल के हथियारों की संख्या

  • ग्वालियर में 33 हजार 700
  • मुरैना के 29 हजार 650
  • भिंड जिले में 26 हजार 650
  • शिवपुरी में 13 हजार 87
  • दतिया में 11 हजार 675
  • श्योपुर में 4 हजार 93 

ग्वालियर कलेक्ट्रेट में 1100 आवेदन लंबित

चंबल में बढ़ते बंदूक के क्रेज को लेकर हर वर्ग के लोग चिंतित है। क्योंकि वो भी प्रत्यक्ष और प्रत्यक्ष रूप से इन बंदूकों का शिकार हो जाते हैं। हथियारों के क्रेज का अंदाजा इसी बात से लगता है कि कलेक्टर, एडीएम से मिलने वाला हर तीसरा व्यक्ति लाइसेंस की फरियाद ही करता है। सिर्फ ग्वालियर कलेक्ट्रेट में ही इन दिनों 1100 आवेदन लंबित हैं। वहीं पुलिस के अलग-अलग दफ्तरों में 3700 आवेदन अभी प्रक्रिया में हैं। इसके बाद भी आवेदनों की रफ्तार थमी नहीं है। हर सप्ताह 80-90 आवेदक हथियार लाइसेंस के नए आवेदन लेकर कलेक्टर के पास पहुंचते हैं। इसके साथ ही 600 आवेदनों को अभी ही निरस्त किया गया है। वहीं इस मुद्दे पर भी राजनीति भी शुरू हो गई है।

अधिकारी से लेकर मंत्री, सांसद और विधायक तक रखते हैं गन  

लाइसेंसी हथियार का शौक सिर्फ आम लोग या जन प्रतिनिधियों तक सीमित नहीं है। अफसर और उनकी पत्नियां भी गन रखने में विश्वास रखती है। कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह और निगम आयुक्त किशोर कन्याल के नाम भी पिस्टल-रिवॉल्वर का लाइसेंस है। लाइसेंसी हथियार रखने वाले अफसरों की सूची में ग्वालियर के एसडीएम सीबी प्रसाद, अनिल बनवारिया, अशोक सिंह, प्रदीप सिंह तोमर समेत कुछ अन्य अधिकारी भी शामिल हैं। कलेक्टर कार्यालय से केंद्रीय और राज्य मंत्री के अलावा सांसद और विधायकों के नाम भी पूर्व में लाइसेंस जारी हो चुके हैं।


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News Editor

Devendra Singh

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