हरदा में खाद न मिलने से गुस्साए किसानों ने हाईवे किया जाम! प्रशासन के खिलाफ मुर्दाबाद के नारे, पुलिस को संभालना पड़ा मोर्चा
Tuesday, Sep 16, 2025-02:26 PM (IST)

हरदा (राकेश खरका): हरदा जिले के खिरकिया मध्य प्रदेश राज्य सहकारी विपणन संघ केंद्र पर किसान खाद लेने आए थे लेकिन इस दौरान वहां कुछ किसानों को खाद नहीं मिला है। जिसको लेकर गुस्साए किसानों ने खंडवा हरदा स्टेट हाईवे पर चक्का जाम करके धरने पर बैठ गए। खाद की भारी कमी के चलते किसानों में आक्रोश है, किसानों ने आरोप लगाया गया है की जिम्मेदार अधिकारी मौके पर मौजूद नहीं है । वहीं खाद वितरण केंद्र प्रभारी ने बताया कि करीब 2 हजार बोरी खाद का वितरण कर दिया गया है और अधिकारियों को बता दिया गया है की मांग अनुरूप खाद भेजा जाए।
खिरकिया स्थित राज्य सहकारी विपणन संघ केंद्र पर मंगलवार को खाद वितरण में गड़बड़ी और कमी को लेकर किसानों का गुस्सा फूट पड़ा। ज़रूरत के बावजूद जब कई किसानों को खाद नहीं मिल पाई, तो उन्होंने खंडवा–हरदा स्टेट हाईवे पर चक्का जाम कर दिया। प्रदर्शन के कारण हाईवे पर कई किलोमीटर तक वाहनों की लंबी कतारें लग गईं।
किसानों का आरोप: “खाद नहीं, अधिकारी भी नदारद”
किसानों ने बताया कि वे कई दिनों से खाद केंद्र के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन उन्हें पर्याप्त खाद नहीं मिल रही। उनका आरोप था कि जिम्मेदार अधिकारी मौके पर मौजूद नहीं हैं और न ही किसानों की समस्याओं को सुनने के लिए कोई पहल की गई। एक किसान ने कहा, “बार-बार आने के बाद भी हमें खाली हाथ लौटना पड़ रहा है। बुवाई का समय निकल रहा है और प्रशासन आंखें मूंदे बैठा है।”
विपणन संघ केंद्र की सफाई
खाद वितरण केंद्र के प्रभारी ने बताया कि अब तक लगभग 2000 बोरी खाद का वितरण किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि अधिकारियों को स्थिति की जानकारी दे दी गई है और मांग के अनुरूप जल्द ही अतिरिक्त खाद भेजी जाएगी।
हाईवे पर यातायात प्रभावित
किसानों के अचानक चक्का जाम से हाईवे पर कई घंटे तक यातायात प्रभावित रहा। बसों, ट्रकों और निजी वाहनों की लंबी लाइनें लग गईं। स्थानीय प्रशासन और पुलिस के हस्तक्षेप के बाद ही कुछ समय बाद स्थिति सामान्य हो पाई।
फसल बुवाई पर असर की चिंता
किसानों ने चेतावनी दी कि अगर जल्द ही खाद की कमी को दूर नहीं किया गया, तो वे आंदोलन को तेज़ करेंगे। उनका कहना है कि समय पर खाद न मिलने से खरीफ फसलों की बुवाई और विकास पर गंभीर असर पड़ सकता है, जिससे उनकी सालभर की मेहनत और आजीविका दोनों पर खतरा मंडरा रहा है।
प्रशासन पर दबाव
इस घटनाक्रम के बाद स्थानीय प्रशासन पर दबाव बढ़ गया है कि वह खाद आपूर्ति की निगरानी को सख़्ती से लागू करे और किसानों को समय पर खाद उपलब्ध कराए।