कोरोना की मार ने दिलाई 150 कि.मी. दूर घर की याद, ठेले पर ही तीन बच्चों संग निकला परिवार

5/2/2020 2:15:48 PM

रायसेन(नसीम अली): लॉक डाउन में आपने मजदूरों के पलायन देखे होंगे कोई पैदल तो कोई साइकल रिक्शा पर अपने गांव, घर शहर के लिए निकला है। लेकिन हाथ ठेले पर जिंदगी लेकर चलने वाले नहीं देखे होंगे। दिल पसीज देने वाला यह सीन रायसेन जिले का है जहां ओबेदुल्लागंज में किराए के मकान पर रहने वाले 2-3 परिवार 150 किलोमीटर दूर अपने गांव भाड़ोन के लिए निकले हैं। छोटे-छोटे तीन बच्चों को हाथठेले पर लेकर घर पहुंचने की जद्दोजहद करता यह परिवार 4 दिन से लगातार सफर कर रहा है। हालांकि इस बीच उन्हें कोई सरकारी मदद नहीं मिली लेकिन बरेली पहुंचने पर इन परिवारों को राघवेंद्र रघुवंशी ने भोजन के पैकेट दिए।

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कोरोना क्या आया जिंदगी बेहरम सी हो गई...10 साल से ओबेदुल्लागंज में सब्जी का कारोबार करने वाले मनोज लोधी व दो अन्य परिवार किराए के मकान पर रहते थे, लेकिन ओबेदुल्लागंज के पास मंडीदीप में कोरोना पॉजिटिव मरीज निकल आये और इनका सब्जी का धंधा बन्द हो गया ऐसे में रोजी रोटी का संकट आन पड़ा और यह गांव की आधी रोटी भली के चलते हाथ ठेले पर कुछ जरूरी सामान लेकर गांव के लिए निकल पड़े। 4 दिन के सफर में किसी ने गांव मे राशन दे दिया तो खाना बनाकर खा लिया नहीं मिला तो बच्चों को बिस्किट बगैरह की व्यवस्था कर चल दिये। पूरे रास्ते मे इनको कोई सरकारी मदद नहीं मिली। 

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उनका गांव भाड़ोन 150 किलोमीटर दूर है। हाथ ठेले पर बैठे तीनों बच्चो के मुंह पर मास्क लगा हुआ था। बच्चों को पता नहीं है कि आखिर वे कहां जा रहे हैं। लेकिन उनके मजबूर माता पिता अपने किराए के घरों में ताले डालकर गांव की ओर निकले हैं। वहीं कोरोना को लेकर सतर्क मनोज ने कहा कि गांव जाकर हम सबसे पहले अपना स्वास्थ्य परीक्षण कराएंगे। 


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meena

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