मैंने राजनीति को कभी धंधा नहीं समझा, अफसोस राजनीति अब धंधा बन गई है- विवेक तन्खा

6/29/2022 3:44:09 PM

इंदौर(सचिन बहरानी): इंदौर में हो रहे नगरीय निकाय चुनाव के चलते तमाम पार्टियों के प्रत्याशियों ने अपने कार्यालयों का शुभारंम करना शुरू कर दिया हैं। जिसके लिये पार्टी से जुड़े बड़े-बड़े नेताओं को बुला कर प्रत्याशी उनके हाथो से फीता कटवा कर कार्यालय का उद्घाटन करवा रहे हैं। उसी कड़ी में इंदौर के खजराना क्षेत्र के वार्ड 38 के कांग्रेस प्रत्याशी सोफिया अन्नू पटेल के कार्यालय का शुभारंभ मध्यप्रदेश के राज्य सभा सांसद विवेक तन्खा ने फीता काटकर किया। साथ ही मीडिया से मौजूदा हालात पर राजनीतिक चर्चा भी की।

दरअसल मंगलवार को एक दिवसीय दौरे पर राज्यसभा सांसद इंदौर आए। उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी के कार्यक्रम में उपस्थित होकर पार्टी कार्यालय के शुभारंभ के बाद राज्य सभा सांसद विवेक तन्खा ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा - निगम चुनाव के दौरान में कई शहरों में जा रहा हुं और जिस तरह वहां का वातावरण दिखाई दे रहा है। उसे देख कर लगता हैं कि लोग 20 साल बाद अब बदलाव चाहते है। वही उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा अचार संहिता के चलते कि जा रही घोषणाओं के बारे में किये गए सवाल का जवाब देते हुए कहा- मुझे बड़ा आश्चर्य होता है कि अचार संहिता के चलते सरकार नये-नये प्रोजेक्ट कि घोषणाएं कर रही है और ऐसी बात पर मुझे आश्चर्य है कि जो चुनाव आयुक्त है, उन्होंने अभी तक मुख्यमंत्री को नोटिस क्यों नहीं दिया? जबकि सब जानते हैँ कि कोई भी चुनाव वो वो भले नगरी निकाय हो या सांसद चुनाव उस दौरान किसी भी तरह कि घोषणाएं नहीं कि जा सकती। लेकिन शायद इस सरकार को कानून का ज्ञान नहीं है। या ये क़ानून का सम्मान नहीं करते चुनाव आयोग क्या कर रहा है? धांधली  के बाद भी भाजपा चुनाव हार रही है। यदि धांधली नहीं करते तो सोचिए भाजपा कितना बुरी हारती है।

महाराष्ट्र कि उठा-पटक को कहा बागी विधायक शिवसेना के नाम पर चुनाव जीत कर आये थे। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व पर चुनाव जीते थे और अब यदि उन्हें नेतृत्व पसंद नहीं है। तो कोई बात नहीं इस्तीफा दीजिये और फिर से चुनाव जीत कऱ आइये। ये कहां कि बात है कि आप बीजेपी के सहारे असम में छुप कर बैठे हो उनके पिट्ठू बन कर और उनके सहारे आप बॉम्बे आना चाहते हो और बदलाव लाना चाहते हो।

वही राजस्थान में हुई हिंसा को लेकर कहा कि मैं किसी भी हिंसा को पसंद नहीं करता और मैं इसका विरोध करता हुं। साथ भी जनप्रतिनिधियों के पेंशन त्याग करने कि उठ रही मांग को लेकर कहा - जिस दिन मुझसे संसद में पूछा जायेगा तो मैं कहूंगा अभी ले लीजिये। इस पर मेरा मत है कि मैं इसे पब्लिक कि सेवा समझता हुं। मैंने राजनीती को कभी धंधा नहीं समझा, लेकिन परेशानी ये है कि राजनीती अब धंधा बन चुकी है और धंधे के साथ ये सब चीजें आती है।

वही ओवैसी की पार्टी के चुनावी मैदान में आने वाले सवाल पर कहा -ओवैसी का मकसद होता है बीजेपी को जिताना। इसलिए वो चुनाव लड़ रहे हैं। क्योंकि वे खुद तो जीत नहीं सकते। बिहार हो या उत्तरप्रदेश किसी ने भी उन्हें वोट नहीं दिया। क्योंकि लोग समझ गए है कि हमें इनका साथ देकर बीजेपी को नहीं जिताना है।


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meena

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