सरकार से वार्ता के लिए तैयार हुए जूनियर डॉक्टर्स, फिलहाल जारी रहेगी हड़ताल

7/25/2018 11:00:47 AM

भोपाल : मानदेय में वृद्धि समेत तीन प्रमुख मांगों को लेकर मध्यप्रदेश के पांच चिकित्सा महाविद्यालयों के जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन (जूडा) की हड़ताल राज्य सरकार के सख्त कदमों के बावजूद आज तीसरे दिन जारी रखने का फैसला लिया गया है। जूडा के एक पदाधिकारी डॉ कृपाशंकर तिवारी ने बताया कि जूडा के प्रतिनिधि इस संबंध में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से चर्चा करना चाहते हैं।
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उन्होंने कहा कि फिलहाल राज्य के चिकित्सा शिक्षा विभाग का रुख हड़ताली जूनियर डॉक्टर्स की जायज मांगों को लेकर किए जा रहे आंदोलन और उनकी आवाज को दबाने का प्रतीत होता है, लेकिन वे किसी दबाव में नहीं आएंगे। डॉ तिवारी ने स्वीकार किया कि गत देर रात इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर और रीवा के सरकारी चिकित्सा महाविद्यालयों के पांच पांच (कुल 20) जूनियर डॉक्टर्स को निष्कासित कर दिया गया है। इस कार्रवाई की जद में आने वाले वे स्वयं भी हैं।
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उन्होंने कहा कि पांचों मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टर्स आपस में संपर्क में हैं और अगली रणनीति पर भी विचार विमर्श चल रहा है। डॉ तिवारी ने कहा कि मानदेय बढ़ाने के अलावा मेडिकल कालेज और उनसे जुड़े अस्पतालों में ढांचागत सुविधाएं बढ़ाने तथा डिग्री हासिल करने के दौरान बांड भरवाए जाने संबंधी नियमों में परिवर्तन की मांग को लेकर यह आंदोलन किया जा रहा है। सबसे पहले विभिन्न स्तर पर चिकित्सा शिक्षा विभाग और सरकार को ज्ञापन दिए गए। 16 जुलाई से एक सप्ताह तक जूनियर डॉक्टर्स ने समानांतर ओपीडी संचालित की। इसके बाद 23 जुलाई से पांचों चिकित्सा महाविद्यालयों में हड़ताल शुरू की गयी। इसके तहत जूनियर डॉक्टर्स सिर्फ आपातकालीन सेवाएं दे रहे हैं। उनका कहना है कि पैरामेडिकल स्टाफ भी हड़ताल में साथ है।

कल दिन में पांच मेडिकल कॉलेज के लगभग पांच सौ जूनियर डॉक्टर्स ने अपने त्यागपत्र भी महाविद्यालय स्टाफ को सौंप दिए। उन्होंने बताया कि भोपाल के अलावा इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर और रीवा चिकित्सा महाविद्यालयों के लगभग डेढ़ हजार जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर हैं। उनका कहना है कि मरीजों के इलाज के प्रति जूनियर डॉक्टर्स भी संवेदनशील है, लेकिन सरकार को उनकी मांगों को लेकर सकारात्मक और संवेदनशील रुख अपनाना चाहिए। इस बीच राज्य सरकार ने जूडा की हड़ताल के मद्देनजर पहले दिन 23 जुलाई को ही आवश्यक सेवाएं संधारण अधिनियम (एस्मा) लागू कर आगामी तीन माह तक चिकित्सकों समेत चिकित्सा शिक्षा विभाग के सभी अधिकारियों कर्मचारियों के अवकाश पर प्रतिबंध लगा दिया है।

सरकार ने जूडा से काम पर लौटने के लिए कहा है, अन्यथा उनके खिलाफ और सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी है। राज्य सरकार ने स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित नहीं हों, इसलिए आपातकालीन व्यवस्था के तहत चिकित्सा महाविद्यालयों के प्राध्यापक आदि को मरीजों के इलाज के लिए तैनात किया है। सेवाएं बरकरार रखने के लिए अन्य आवश्यक कदम भी उठाए गए हैं, लेकिन मरीजों के आपरेशन और अन्य कार्य प्रभावित हो रहे हैं। 


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