नवरात्रे पर इस गांव में नहीं होती दुर्गा प्रतिमा की स्थापना, मंदिर में ही होती है पूजा, जानिए इच्छादेवी मां के मंदिर की रोचक कहानी

Thursday, Mar 23, 2023-01:35 PM (IST)

बुरहानपुर(नितिन इंगले) : बुरहानपुर जिला मुख्यालय से करीब 25 किमी दूर मां इच्छादेवी का मंदिर है। मान्यता है कि इस मंदिर की स्थापना 5 सौ साल पहले हुई थी और गांव का नाम भी माता के नाम पर इच्छापुर रखा गया। नवरात्र के दौरान मध्य प्रदेश ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों से भी लाखों की संख्या में भक्त दर्शन के लिए आते हैं। इच्छा देवी मंदिर जिसमें कि स्वयंभूव मूर्ति हैं यहां मां इच्छादेवी भक्तों की सभी इच्छाओं को पूर्ण कर देती हैं। इस मंदिर का अपना है रोचक इतिहास है। यह जमीन से सटे पर्वत पर स्थित हैं। यहां दोनों नवरात्र में श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती हैं। खास बात यह कि नवरात्रे के दौरान पूरे गांव में किसी के भी घर में दुर्गा प्रतिमा की स्थापना नहीं होती। सभी इसी मंदिर में आकर पूजा अर्चना करते हैं। गांव के ही नहीं बल्कि दूर-दूर से लोग अपनी इच्छा की पूर्ति के लिए घुटनों के बल तो कहीं हर सीढ़ी पर नारियल फोड़कर अपनी इच्छापूर्ति करते हैं।

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बुरहानपुर जिले में बुरहानपुर एदलाबाद मुख्य सड़क पर बुरहानपुर से लगभग 21 किमी दूरी पर मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र सीमा पर ग्राम इच्छापुर स्थित है l कहा जाता हैं कि इस ग्राम का नाम इच्छा माता पर आधारित ग्राम इच्छापुर हैं, कहा जाता हैं कि इस ग्राम का नाम इच्छा देवी (इच्छा पूरी करने वाली) के नाम पर रखा गया हैं l इस मंदिर जन श्रुति है यह है कि एक मराठा सूबेदार ने संकल्प किया था कि यदि उसे पुत्र की प्राप्ति होगी तो वह देवी के लिए एक मंदिर और कुआं बनवाएगा। जब उसकी इच्छा पूरी हुई तो उसने कुआं और मंदिर बनवाया बाद में मंदिर तक पहुंचने के लिए सीढ़ियां भुस्कुटे परिवार ने बनवाई। यहां दोनों नवरात्र में पड़वा से लेकर नवमीं तक सभी शहरी एवं ग्रामीण लोग यहां आते हैं और माता के दर्शन करते हैं। यहां दोनों नवरात्र में एक वार्षिक मेला भरता है, जो 9 दिनों तक चलता हैं।

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आसपास से हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। मेले की व्यवस्था पूर्व में जनपद सभा के अधीन थी। वर्तमान में ग्राम पंचायत  इच्छापुर मेला व्यवस्था कार्य देखती हैं। देवी की मूर्ति अति प्राचीन हैं जिसे चमत्कारिक देवी के दर्शन आराधना के लिए महाराष्ट्र और दूर-दूर के प्रदेशों से भी यहां आते हैं और आराधना करते हैं। मनौतियां मानते हैं। इच्छा पूर्ति पर मनौतियां चढ़ाने देवी की पूजा अर्चना के लिए आते हैं। वर्तमान में इच्छा देवी ट्रस्ट बन जाने के बाद इस मंदिर का कायाकल्प हो गया हैं दानदाताओं की मदद से मंदिर का भव्य स्वरूप बनाया गया है।

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नीचे आवासीय व्यवस्था बर्तनों इत्यादि के साथ उपलब्ध की गई हैं, जिससे यहां दूर-दूर से नागरिकगण विवाह संबंध करने भी बड़ी संख्या में आते हैं। ट्रस्ट के प्रयास से पहाड़ों पर स्थापित मंदिरों के अनुसार यहां भी उत्तम व्यवस्था की गई हैं। जिसमें निरंतर प्रगति जारी हैं। यहां बहुत दूर-दूर से भक्तगण दर्शन करने आते हैं। वर्तमान में पर्यटन विकास निगम द्वारा 93 लाख 25 हजार रुपए की राषि से कायाकल्प किया गया हैं। यहां जाने के लिए 176 सीढ़ीयां जो कि प्राचिन हैं और 225 उतरने के लिए जो कि पर्यटन विकास द्वारा बनाई गई हैं। सारे ग्राम के लोग केवल मां इच्छादेवी के ही दर्शन और पूजा अर्चना करते हैं।


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Content Writer

meena

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