पहले सिंचाई की क्षमता 7 लाख हेक्टेयर थी अब वह 45 लाख हेक्टेयर हो गई है: शिवराज, राजधानी में हो रहा वाटर विजन 2047...

1/5/2023 4:04:23 PM

भोपाल(विवान तिवारी): मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में विभिन्न राज्यों के मंत्रियों के प्रथम अखिल भारतीय सम्मेलन 'वाटर विजन @ 2047' कार्यक्रम का आयोजन हो रहा है। पानी को पानी को लेकर हो रहे इस खास सम्मेलन में देशभर के जल मंत्री पानी बचाने वर्षा जल से पानी को पीने योग्य बनाने जैसी कई चुनौतियों पर दो दिवसीय सत्र में चर्चा करने वाले है। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने शिरकत की और उन्होंने उपस्थित सभी अतिथियों को संबोधित भी किया। वहीं इस दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यह कहा कि वाटर विजन @ 2047' पानी बचाने में मील का पत्थर साबित होगा। कल मेरे साथ आप भी पेड़ लगाएं, उस गार्डन को हम नाम देंगे वाटर विज गार्डन। यह सम्मेलन की स्मृतियों को अक्षुण्ण रखेगा। हमारा देश सौभाग्यशाली है कि प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी जैसे विजनरी लीडर मिले। वह कल्पनाशील मस्तिष्क के धनी हैं। वह संकल्प लेते हैं और उसकी सिद्धी के लिए अपने आपको झोंक देते हैं।
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• मध्यप्रदेश कृषि प्रधान राज्य इसलिए हमने सबसे पहले बांध और जल संरचनाएं बनाई: शिवराज

पानी को लेकर लगातार बोलते हुए सीएम शिवराज नहीं है कहा कि एक माह में हम मध्यप्रदेश की जल नीति बनाएंगे, जिसमें सभी आयाम शामिल करने का प्रयास करेंगे। वर्षा जल को कैसे रोक कर रखें, सिंचाई में कम पानी कैसे लगे, जितने भी आयाम होते हैं उन्हें शामिल कर मप्र की बेहतर जल नीति बनाने का प्रयास करेंगे। उन्होंने यह कहा कि सिंचाई की क्षमता साढ़े 7 लाख हेक्टेयर थी। मध्यप्रदेश कृषि प्रधान राज्य है। इसलिए हमने सबसे पहले बांध और जल संरचनाएं बनाईं। मुझे आज यह बताते हुए प्रसन्नता है कि आज मध्यप्रदेश की सिंचाई क्षमता बढ़कर 45 लाख हेक्टेयर हो गई है।

विश्व स्तरीय प्रसिद्ध जल संरचनाओं पर बात करते हुए सीएम शिवराज ने यह कहा कि बुंदेलखंड की धरती में लगभग 2000 से ज्यादा चंदेल कालीन जल संरचनाएं हैं। यह हमारी प्राचीन परंपरा भी है। मध्यप्रदेश के भी हर गांव में बिना तालाब के काम नहीं चलता था।

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• भोपाल के बड़ा तालाब की सीएम ने बताई महत्ता

झीलों की नगरी भोपाल के प्रसिद्ध बड़ा तालाब के बारे में बताते हुए सीएम शिवराज ने यह कहा कि भोपाल को एक तिहाई जल इसी तालाब से मिल रहा है। अगर ये तालाब न हो तो भोपाल की पहचान ही खत्म हो जाए। वही उन्होंने यह कहा कि नदी के पुनर्जी​वन की बात आती है। सदानीरा नदियां सूख गईं। नदी पुनर्जीवन का अभियान, जिसमें वृक्षारोपण, तालाब खोदना आदि शामिल है।


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meena

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