विवेक तन्खा का CM शिवराज के नाम खुला खत, वोट के लिए आपने 100% नौकरी आरक्षण की घोषणा कर दी

8/19/2020 4:28:50 PM

जबलपुर: मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रोजगार के लिए बड़ी घोषण करते हुए कहा है कि अब सिर्फ मध्यप्रदेश के युवाओं को ही सरकारी नौकरी दी जाएगी। जिसको लेकर कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा ने सवाल उठाए हैं। सीएम शिवराज को पत्र लिखते हुए उन्होंने कहा है कि आपका निर्णय अखबार की सुर्खियों में है कि राज्य में सरकारी नौकरियों में प्रदेश के युवा वर्ग का शत प्रतिशत आरक्षण निश्चित किया जाएगा। यह घोषणा लुभावन अवश्य प्रतीत होती है किन्तु इसे वर्तमान के धरातल पर उतारने में व्यावहारिक कठिनाइयों की अनदेखी की गयी हैं। मैंने स्वयं भी प्रदेश के युवाओं के रोज़गार हेतु प्रदेश के बाहर पत्रायन पर रुदैव चिंता व्यक्त की है। जबलपुर इसका जीवंत उदाहरण है। निश्चित ही प्रदेश के संसाधनों पर सदैव पहला हक़ प्रदेश की जनता का है- यहाँ के युवाओं का है।

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विवेक तन्खा ने आगे लिखा है कि आज हमारे प्रदेश में लगभग 28 लाख युवा बेरोजगार हैं। यह आंकड़ा सिर्फ सरकारी पंजीकृत युवा बेरोजगारों का है। हाल ही में भारत सरकार के श्रम और रोजगार मंत्रालय की संसद में प्रस्तुत सर्वेक्षण रिपोर्ट में कहा गया है कि जहां देश के अन्य राज्यों में बेरोजगारी का प्रतिशत घटा है, वहीं मध्यप्रदेश में बेरोजगारी की दर लगातार बढ़ी हैं। कोविड19 के भीषण काल ने इस अनुपात को और बढ़ा दिया है। प्रदेश में नौकरियों का हाल वाकई चिंताजनक है। आरक्षण संबंधी कोई भी घोषणा करने से पहले हमें याद रखना होगा, कि देश के संविधान के में छात्र सभी राज्य आरक्षण के सम्बन्ध में सर्वोच्च न्यायालय के दिशा निर्देशों से बंधे हुए हैं। कोई भी लोक लुभावन घोषणा करने के पहले आवश्यक निर्देशों का पालन करना सर्वथा आवश्यक है। प्रतीत होता है कि प्रदेश के युवाओं के समक्ष ऐसी घोषणा करने में आपने जल्दबाजी की एवं आरक्षण के सम्बन्ध में आवश्यक नियमों एवं क़ानून को ध्यान में नहीं रखा। आपने आज प्रदेश के सभी समाचार पत्रों में राज्य में ओबीसी वर्ग के 27% आरक्षण पर लगी रोक के सम्बन्ध में अवश्य पढ़ा होगा। यद्यपि यह मामला अभी माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित है इसलिए मेरा इस विषय में कोई टिप्पणी करना उचित नहीं होगा। एक प्रजापालक के रूप में आपको कोई भी घोषणा करने के पूर्व इस घोषणा के प्रभाव का आकलन करना भी आवश्यक है।
 


सीएम शिवराज को इतिहास याद दिलाते हुए कांग्रेस नेता ने आगे लिखा है कि आप स्वयं भारतीय इतिहास के ज्ञाता है। आज आपने मुझे भारतीय इतिहास की एक दिलचस्प याद ताज़ा करा दी, कि देश के इतिहास में अपनी छाप छोड़ने वाले राजाओं राजा विक्रमादित्य और सम्राट अकबर दोनों में यह विशेष गुण थे, कि वे जब भी कोई घोषणा करते थे तो वे सदैव इस बात का ख्याल रखते थे कि, उनके किसी भी आदेश का देश की जनता पर क्‍या क्या प्रभाव और उसकी प्रतिक्रिया होगी। अपने आदेश के प्रभाव का आंकलन करने के लिए वे रात में वेश बदलकर जनता के बीच जाते थे और राजा के आदेश के सम्बन्ध में जनता का मत जानने की कोशिश करते थे ताकि अपने आदेश को व्यवहारिकता की कसौटी पर कसा जा सके। इसीलिए शायद वे एक प्रसिद्द शासक बन पाए।

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सांसद तन्खा ने आगे लिखा है कि आज टेक्नोलॉजी का दौर है। आपको अपने इस निर्णय की घोषणा के पूर्व संविधान विशेषज्ञों से राय अवश्य लेनी चाहिए थी। ज्ञात है कि प्रदेश की सीमा से लगे झारखण्ड में माननीय उच्च न्यायालय में शासकीय नौकरियों में शत प्रतिशत आरक्षण व्यवस्था की झारखंड सरकार की कोशिश को असंवैधानिक मानते हुए राज्य शासन के आदेश पर रोक लगा दी, एवं इसी तरह सिक्किम सरकार ने भी नॉकरियों में 90 फीसदी आरक्षण देने की योजना बनाई थी। जिसे महामहीम राष्ट्रपति ने खारिज कर दिया। प्रदेश से प्रतिभाओं का पलायन एक चिंता का विषय है। इसके पीछे बच्चों को क्वालिटी एजुकेशन दैने में योजनाओं के सफल क्रियान्वयन हेतु प्रबल इच्छाशक्ति का आभाव इसका मुख्य कारण रहा है। प्रदेश के स्कूलों में पढ़ाई का स्तर किसी से छुपा नहीं है। इन विद्यात्रयों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं जब खुली प्रतियोगिताओं में शामिल होते है तो उन्हें परीक्षाओं की अपेक्षाओं पर खरा भी उतरना होता है। इस हेतु प्रदेश की स्कूल व्यवस्था में आवश्यक बदलाव हेतु इसकी समीक्षा करना अतिआवश्यक है। प्रदेश के रोजगार कार्यालय के आकंड़ों पर एक नजर डलें तो पता चलता है की आज लगभग एक करोड़ युवा देश के दूसरे राज्यों में पढ़ाई कर रहे हैं, और नौकरी कर रहे हैं। अगर अन्य राज्यों ने भी आपकी तरह निर्णय लिया तो इसके परिणाम सुखद तो अवश्य नहीं होंगे। आज प्रदेश के प्रत्येक परिवार के कम से कम एक सदस्य को नौकरी की गारंटी प्रदेश सरकार के ल्रिए एक चुनौती है।

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भारतीय संविधान की मूल भावना मेँ किसी भी हस्तक्षेप से पहले संविधान के प्रहरी माननीय सर्वोच्च न्यायालय की नजीरों पर एक दृष्टि डालना प्रदेश के न्यायविदों के लिए आवश्यक है। जिसमें समय-समय पर स्पष्ट किया गया है, कि वर्तमान परिस्थितियाँ में शत-प्रतिशत आरक्षण व्यावहारिक नहीं है। मुझे उम्मीद है कि आपके दवारा की गयी घोषणा प्रदेश की जनता के हितैषी के रूप में रूप में होगी ना कि मात्र राज्य में शीघ्र होने वाले चुनावों को ध्यान में रखकर प्रदेश के युवाओं का ध्यान भटकाने हेतु।


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Vikas kumar

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