इस गांव में पास्टर-पादरी के प्रवेश वर्जित, 5 महीने पहले धर्मांतरण के विवाद के बाद लिया गया फैसला
Thursday, Oct 16, 2025-02:23 PM (IST)

कांकेर: छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के नरहरपुर ब्लॉक के ग्राम जामगांव में ग्रामीणों ने धर्मांतरण के विरोध में एक बड़ा कदम उठाया है। गांव के प्रवेश द्वार पर ग्रामीणों ने बोर्ड लगाकर पादरी, पास्टर और धर्म परिवर्तन कर चुके लोगों के प्रवेश पर रोक लगा दी है। यह फैसला ग्रामसभा के प्रस्ताव के तहत लिया गया है।
14 परिवारों ने किया धर्म परिवर्तन, ग्रामीणों में नाराजगी
गांव के खेमन नाग ने बताया कि करीब 14 परिवारों ने ईसाई धर्म अपना लिया है, जिससे गांव की परंपराओं और रीति-रिवाजों पर असर पड़ रहा है। उन्होंने कहा, हम किसी धर्म का विरोध नहीं करते, लेकिन लालच या प्रलोभन देकर किए जा रहे मतांतरण का विरोध जरूर करते हैं।
ग्रामसभा ने लिया सर्वसम्मति से निर्णय
गायता रमेश उइके ने बताया कि ग्रामसभा ने यह निर्णय गांव की संस्कृति और आदिवासी परंपराओं की रक्षा के लिए लिया है। ग्राम प्रवेश द्वार पर लगाए गए बोर्ड पर लिखा गया है पेशा अधिनियम 1996 लागू है, जिसके तहत सांस्कृतिक पहचान और परंपराओं के संरक्षण का अधिकार ग्रामसभा को प्राप्त है। प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि गांव में ईसाई धर्म प्रचार या मतांतरण के उद्देश्य से किसी बाहरी व्यक्ति का प्रवेश प्रतिबंधित रहेगा।
पहले भी हुआ था विवाद
लगभग पांच महीने पहले धर्मांतरित परिवार के एक सदस्य की मौत के बाद कफन-दफन को लेकर विवाद हुआ था। उसी घटना के बाद ग्रामसभा ने मतांतरण के खिलाफ यह ठोस निर्णय लिया।
ग्रामसभा को संवैधानिक अधिकार
संविधान की पांचवीं अनुसूची के तहत ग्रामसभा को अपनी परंपराओं और संस्कृति की रक्षा के लिए निर्णय लेने का अधिकार प्राप्त है। जानकारी के अनुसार, जामगांव कांकेर जिले का 13वां ऐसा गांव बन गया है, जहां मतांतरण विरोध में पादरियों और पास्टरों के प्रवेश पर रोक लगाई गई है। इस अवसर पर खेमन नाग, प्रमोद कुंजाम, तुलेश सिन्हा, राजकुमार सिन्हा, आनंद यादव, संजय शोरी, रोहित कुंजाम, कमलेश नेताम, कमल सिंह मरकाम, रामदीन नाग सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित रहे।