10 साल के बच्चे की नौवीं में एडमिशन पर रोक क्यों? CBSE को हाईकोर्ट की फटकार, जानिए पूरा मामला
Friday, Sep 26, 2025-01:16 PM (IST)

जबलपुर : मध्य प्रदेश में जबलपुर हाईकोर्ट में गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान 10 साल के प्रतिभाशाली छात्र आरव के मामले ने सबका ध्यान खींचा। अदालत ने सीबीएसई और केंद्र सरकार की उस नीति पर तल्ख टिप्पणी की, जिसमें उम्र का हवाला देकर 9वीं कक्षा में दाखिले से इनकार किया गया था।
मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा और न्यायमूर्ति विनय सराफ की खंडपीठ ने कहा कि देश में ऐसे कई बच्चे हैं जो कम उम्र में ही अद्भुत काम कर दिखाते हैं—कोई 14 साल की उम्र में डॉक्टर बन जाता है, कोई 10 की उम्र में सर्जरी करने लगता है और कोई 12 साल का बच्चा ग्रैंड मास्टर बनकर अंतरराष्ट्रीय पहचान बना लेता है। ऐसे में सिर्फ उम्र की नीति का हवाला देकर किसी की प्रतिभा पर रोक लगाना उचित नहीं है।
आरव का मामला भी कुछ ऐसा ही है। महज 10 साल का यह बालक 10वीं के कठिन सवाल पलक झपकते हल कर देता है। उसकी प्रतिभा को देखते हुए स्कूल ने 8वीं तक पढ़ने की अनुमति भी दी थी, लेकिन अब 9वीं में प्रवेश से रोकते हुए बोर्ड ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति का हवाला दिया।
सीबीएसई ने दलील दी कि नई शिक्षा व्यवस्था के तहत 5+3+3+4 का पैटर्न लागू है, जिसमें 6 साल का बच्चा पहली कक्षा में दाखिला लेगा और उसी हिसाब से आगे बढ़ेगा। लेकिन कोर्ट ने सवाल उठाया कि जब असाधारण प्रतिभाओं को मान्यता दी जाती है, उन्हें पुरस्कार और सम्मान मिलते हैं, तो पढ़ाई में उनके रास्ते में यह कृत्रिम रुकावट क्यों डाली जा रही है।
अदालत ने केंद्र और सीबीएसई दोनों को नोटिस जारी कर साफ जवाब मांगा है कि आखिर ऐसे प्रतिभाशाली बच्चों के लिए उनकी नीति क्या है। अदालत ने यह भी संकेत दिया कि यदि जरूरत हो तो शिक्षा नीति पर पुनर्विचार होना चाहिए, ताकि देश के नन्हें प्रतिभावान बच्चों की उड़ान रोकी न जा सके।