बर्फीले तूफानों में पेंगुइन कैसे जीवित रहते हैं...रिसर्च करने वाले पोलर मैन का लंबी बीमारी के बाद निधन
Tuesday, Dec 03, 2024-04:56 PM (IST)
बैतूल (राम किशोर पवार) : बैतूल की माटी का लाल डॉ प्रकाश जिसे पूरी दुनिया में पोलर मैन के नाम से जाना पहचाना जाता है ने आज सुबह दुनिया को अलविदा कह दिया। मेरी वॉक अगेंस्ट कैंसर यात्रा को हरी झंडी दिखाने वाले डॉ प्रकाश ने मंगलवार सुबह हमारा साथ छोड़ दिया है। उन्होंने लंबी बीमारी के बाद आज अपने गृह गांव में अंतिम सांस ली। वे बैतूल जिले की प्रभात पट्टन तहसील के ग्राम पंचायत धाबला के रहने वाले थे। उनका दाह संस्कार 3 दिसंबर को दोपहर के बाद ताप्ती घाट धाबला (बिरूल बाजार) में किया गया।
भारतीय वैज्ञानिक दल के साथ डॉ प्रकाश ने एक वर्ष antratica दक्षिण ध्रुव पर बिताए और अपने अनुसंधानों से देश और दुनिया को बतलाया कि माइनस 90 डिग्री सेल्सियस, 300 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलती बर्फीली तूफानी हवाओं में 6 महीने रात 6 महीने दिन पेंगुइन कैसे जीवित रह पाती हैं। पोलर बीयर कैसे अपने आपको जीवित रख पाता है। आप अंदाजा लगाए कि इन कठिन परिस्थितियों को चुनौती देने डॉ प्रकाश ने वहां एक वर्ष बिताए।
इसके अलावा डॉ. प्रकाश खातरकर ने 2009-2010 में अंटार्कटिक महाद्वीप में जाकर शोध किया। उन्होंने माइनस 55 डिग्री तापमान में रहकर वैज्ञानिकों के साथ 14 महीने तक पृथ्वी के भू-गर्भ में होने वाली हलचल पर रिसर्च की।
डॉ प्रकाश अत्यंत खेतिहर मजदूर परिवार ग्रामीण परिवेश से आते थे, जिनके पास सुबह शाम की रोटी का भी इंतजाम नहीं हुआ करता था अपनी अद्भुत क्षमताओं से दुनिया में मुकाम हासिल किया। दुनिया जो दिखा गए कि प्रतिभाएं किसी की मोहताज नहीं होती है लेकिन जीवन की जंग में हार गए किंतु डॉ प्रकाश का ज्ञान, मेहनत हमेशा हमेशा जीवित रहेगी।