शराब घोटाले में बुरे फंसे पूर्व CM के बेटे! 2 महीने से जेल में बंद, 15 सितंबर तक बढ़ी रिमांड, ED जल्द पेश करेगी चालान

Saturday, Sep 06, 2025-05:36 PM (IST)

रायपुर: छत्तीसगढ़ के शराब घोटाला मामले में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल की रिमांड 15 सितंबर तक बढ़ा दी गई है। इसी दिन प्रवर्तन निदेशालय (ED) चैतन्य के खिलाफ चालान पेश कर सकती है। चैतन्य बघेल को 18 जुलाई को गिरफ्तार किया गया था और वह दो महीने से जेल में बंद हैं।


16.70 करोड़ रुपए का आरोप

ED के मुताबिक, शराब घोटाला और मनी लॉन्ड्रिंग केस में चैतन्य बघेल को आरोपी बनाया गया है। आरोप है कि शराब घोटाले की रकम से चैतन्य को 16.70 करोड़ रुपए प्राप्त हुए।


ब्लैक मनी को वाइट करने की योजना

ED की जांच में सामने आया कि घोटाले से प्राप्त ब्लैक मनी को रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स में इन्वेस्ट किया गया। इसके लिए फर्जी निवेश और लेन-देन दिखाए गए, ताकि पैसा वाइट किया जा सके।

  • विट्ठल ग्रीन प्रोजेक्ट (बघेल डेवलपर्स): घोटाले के पैसे का मुख्य स्रोत
  • वास्तविक खर्च: 13-15 करोड़, रिकॉर्ड में दिखाया गया: 7.14 करोड़
  • कैश पेमेंट: 4.2 करोड़, रिकॉर्ड में नहीं दिखाया गया
  • फर्जी फ्लैट खरीदी से पैसों की हेराफेरी

ED ने पाया कि त्रिलोक सिंह ढिल्लो ने 19 फ्लैट खरीदने के लिए 5 करोड़ बघेल डेवलपर्स को ट्रांसफर किए। फ्लैट उनके कर्मचारियों के नाम पर खरीदे गए, लेकिन पेमेंट खुद ढिल्लो ने किया। यह लेन-देन 19 अक्टूबर 2020 को एक ही दिन में हुआ।
 

5 करोड़ कैश के बदले फर्जी ट्रांसफर

भिलाई के एक ज्वेलर्स ने चैतन्य बघेल को 5 करोड़ रुपए उधार दिए, जो बाद में उनकी कंपनियों को लोन के रूप में दिखाए गए। इसके बदले वही ज्वेलर्स बघेल की कंपनियों से 6 प्लॉट खरीदे, जिनकी कीमत 80 लाख थी। ED का दावा है कि यह पैसा शराब घोटाले का कैश था।

 

फ्रंट कंपनियों का इस्तेमाल

चैतन्य बघेल ने घोटाले का पैसा पाने के लिए कई फ्रंट कंपनियों और लोगों का इस्तेमाल किया, ताकि ED और अन्य एजेंसियों का ट्रैक छुपाया जा सके। उदाहरण के लिए, ढिल्लो सिटी मॉल से पैसा आया, फिर ढिल्लो ड्रिंक्स के कर्मचारियों को ट्रांसफर हुआ, और फिर बघेल डेवलपर्स तक पहुंचा।

 

शराब घोटाले का संपूर्ण दृश्य

छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में ED ने 2 हजार करोड़ से अधिक के घोटाले की जांच की है। FIR में राजनेता, आबकारी विभाग के अधिकारी और कारोबारी सहित कई लोगों के खिलाफ नामजद आरोप हैं। जांच में सामने आया कि तत्कालीन भूपेश सरकार के कार्यकाल में IAS अफसर अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के MD AP त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के सिंडिकेट के माध्यम से घोटाला अंजाम दिया गया।


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Content Writer

Vikas Tiwari

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