दुर्ग पुलिस की त्वरित और सटीक जांच पर न्यायालय की मुहर: हत्या, बलात्कार, डकैती के आरोपियों को आजीवन कारावास
Saturday, Dec 20, 2025-12:38 PM (IST)
दुर्ग। (हेमंत पाल): जिला पुलिस दुर्ग ने एक बार फिर साबित कर दिया कि यदि विवेचना मजबूत हो, साक्ष्य पुख्ता हों और समयबद्ध कार्रवाई हो, तो अपराधी कानून से नहीं बच सकते। हत्या, हत्या के प्रयास, बलात्कार, पॉक्सो एक्ट, एनडीपीएस और आर्म्स एक्ट जैसे गंभीर मामलों में माननीय न्यायालय द्वारा आजीवन कारावास से लेकर सश्रम कारावास और अर्थदंड तक की सजा सुनाई गई है। दिनांक 18 दिसंबर 2025 की रात्रि 10 बजे पुलिस नियंत्रण कक्ष भिलाई में आयोजित सम्मान समारोह में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक दुर्ग द्वारा उन विवेचकों को प्रशस्ति पत्र और नगद ईनाम से सम्मानित किया गया, जिनकी सटीक और मेहनती विवेचना के कारण आरोप सिद्ध हो सके। साथ ही सभी अधिकारियों को भविष्य में भी गंभीर अपराधों में नवीन कानून के अनुरूप ई साक्ष्य तैयार कर 60 या 90 दिवस के भीतर चालान प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए।
हत्या के मामलों में आजीवन कारावास
नंदिनी नगर थाना क्षेत्र में हत्या के आरोपी सूर्यकांत वर्मा को धारा 302 भादंसं में आजीवन कारावास। दुर्ग थाना क्षेत्र में राकेश साहू एवं अन्य को हत्या और हत्या के प्रयास में आजीवन कारावास और 7 वर्ष का कारावास।
कुम्हारी थाना क्षेत्र में मनप्रीत सिंह और गायत्री साहू को सामूहिक हत्या के मामले में आजीवन कारावास। मोहन नगर और पुलगांव थाना क्षेत्रों में भी हत्या के मामलों में आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा। हत्या के प्रयास और डकैती पर सख्त फैसला
हत्या के प्रयास के कई मामलों में 7 से 10 वर्ष तक का सश्रम कारावास सुनाया गया। वहीं भिलाई नगर और पुरानी भिलाई थाना क्षेत्र में डकैती के मामलों में आरोपियों को कारावास और अर्थदंड से दंडित किया गया।
बलात्कार और पॉक्सो मामलों में कड़ा संदेश
सुपेला, पुरानी भिलाई, उतई और मोहन नगर थाना क्षेत्रों में बलात्कार और पॉक्सो एक्ट के मामलों में आरोपियों को 10 वर्ष से 20 वर्ष तक के सश्रम कारावास की सजा दी गई। यह फैसला समाज में एक स्पष्ट संदेश देता है कि बच्चों और महिलाओं के विरुद्ध अपराध किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे।
एनडीपीएस और अपहरण मामलों में भी कार्रवाई
एनडीपीएस एक्ट के तहत नशे से जुड़े अपराधों में आरोपियों को कारावास और भारी अर्थदंड दिया गया। अपहरण के मामलों में भी दोष सिद्ध होने पर सजा सुनाई गई, वहीं जहां साक्ष्य पर्याप्त नहीं थे वहां न्यायालय ने दोषमुक्त भी किया।

