खंडवा बाल संप्रेषण गृह में ढीली सुरक्षा! 6 बाल अपचारी दीवार तोड़कर भागे
Thursday, Oct 09, 2025-12:30 PM (IST)

खंडवा। (मुश्ताक मंसूरी): मध्य प्रदेश के खंडवा बाल संप्रेषण गृह से एक बार फिर छह बाल अपचारी फरार हो गए हैं। यह घटना विभाग की सुरक्षा व्यवस्था और प्रशासनिक लापरवाही का गंभीर उदाहरण बनकर सामने आई है। बीते कुछ महीनों में इस तरह की घटनाएं लगातार हो रही हैं, जिससे विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। घटना स्थल पर एडीएम केआर बडोले ने पहुंचकर मौका मुआयना किया और घटना के समय तैनात गार्ड के दो जवानों को निलंबित कर दिया।
दरअसल, खंडवा बाल संप्रेषण गृह के बाथरूम की दीवार तोड़कर 6 बाल अपचारी फरार हो गए। इन बाल अपचारियों ने बाथरूम की दीवार में छेद किया, बाहर निकले और बाउंड्री वॉल पार कर भाग गए। घटना सुबह 5 और 6 बजे के बीच हुई।
भागे बाल अपचारियों में पांच खरगोन जिले के और एक बुरहानपुर जिले का है। घटना के बाद पुलिस ने बाल संप्रेषण गृह का मौका मुआयना किया और इन बालकों की तलाश के लिए उनके घर, परिवार और रिश्तेदारों के यहां टीम रवाना की है। सिटी पुलिस अधीक्षक अभिनव बारंगे ने बताया कि सभी बाल अपचारियों की खोज के लिए पुलिस दल लगातार सक्रिय हैं।
सूत्रों के अनुसार, पांच बाल अपचारी खरगोन जिले में बालिकाओं के साथ छेड़छाड़ और POCSO जैसी गंभीर धाराओं में आरोपित हैं। वहीं, बुरहानपुर जिले का एक बालक गौवंश तस्करी के मामले में संप्रेषण गृह में रखा गया था।
तीन माह पूर्व भी भाग चुके थे बालक
करीब तीन माह पहले भी संप्रेषण गृह से पाँच बच्चे फरार हुए थे, जिनमें से केवल तीन ही बरामद किए जा सके थे, जबकि दो अब तक लापता हैं।
सुरक्षा व्यवस्था लगातार चूक
हर बार बालकों के फरार होने का तरीका लगभग समान है—बाथरूम की दीवार या खिड़की तोड़कर भागना। इससे स्पष्ट है कि विभाग ने पिछले मामलों से कोई सबक नहीं लिया और सुरक्षा इंतजाम केवल कागजों तक सीमित हैं।
कलेक्टर की नाराजगी, लेकिन अधूरी कार्रवाई
सूत्रों के अनुसार, खंडवा कलेक्टर ऋषभ गुप्ता ने पूर्व में बालकों के भागने की घटनाओं पर बाल विकास अधिकारी को नोटिस जारी कर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए थे, लेकिन वरिष्ठ अधिकारियों ने मामले में लीपा-पोती की। कुछ कर्मचारियों का औपचारिक स्थानांतरण तो हुआ, लेकिन मुख्य जिम्मेदारों पर कोई ठोस दंडात्मक कार्रवाई नहीं की गई।
बालकों की असंतोषजनक स्थिति
विभागीय सूत्रों के अनुसार, बाल संप्रेषण गृह में भोजन, पानी और रहने की व्यवस्था से बालक असंतुष्ट हैं। कई बार उन्होंने खाने की गुणवत्ता और सुविधाओं की कमी को लेकर शिकायत की, लेकिन उनकी आवाज़ को नजरअंदाज किया गया। यही कारण है कि बालक बार-बार फरार होने का प्रयास करते रहते हैं।
महिला एवं बाल विकास अधिकारी पर भी सवाल
सूत्रों का कहना है कि महिला एवं बाल विकास अधिकारी, जो आगर-मालवा से स्थानांतरित होकर खंडवा जिला परियोजना अधिकारी के रूप में कार्यरत हैं, विभागीय कार्यों को पर्याप्त समय नहीं देतीं और केवल टीएल बैठक या जनसुनवाई के दिन ही खंडवा में उपस्थित रहती हैं। इसके बाद वे "टूर" का हवाला देकर अनुपस्थित रहती हैं, जिससे विभागीय नियंत्रण कमजोर पड़ा है।
प्रशासनिक जवाबदेही पर गंभीर सवाल
हर बार घटना के बाद जांच शुरू होती है, लेकिन सुरक्षा व्यवस्था सुधारने के लिए कोई स्थायी कदम नहीं उठाए गए। लगातार हो रही इन घटनाओं से यह स्पष्ट है कि विभाग बालकों की सुरक्षा और पुनर्वास के दायित्व में विफल साबित हो रहा है।
जरूरत है ठोस और सख्त कार्रवाई की
विशेषज्ञों का कहना है कि अब समय आ गया है जब विभाग केवल नोटिस या जांच तक सीमित न रहकर वास्तविक सुधारात्मक कदम उठाए। संप्रेषण गृह की सुरक्षा, भोजन और निगरानी व्यवस्था को दुरुस्त किए बिना बालकों का सुरक्षित संरक्षण संभव नहीं है।