जिस जनपद CEO ने गुंड़ागर्दी करने वाले BJP नेताओं पर कराई थी FIR, उसका ट्रांसफर, कांग्रेस करेगी आंदोलन
Thursday, Sep 11, 2025-01:08 PM (IST)

इंदौर: इंदौर की जनपद पंचायत महू के कार्यपालन अधिकारी पंकज दरोठिया का मंगलवार देर रात अचानक ट्रांसफर कर दिया गया। उन्हें बैतूल जिले की आमला जनपद पंचायत का प्रभारी मुख्य कार्यपालन अधिकारी बनाया गया है। वहीं, दरोठिया की जगह गुना जिले के चाचौड़ा के सीईओ गिरिराज दुबे को पदभार सौंपा गया है।
अचानक हुआ तबादला
दरोठिया ने कहा कि महू में उनका कार्यकाल दो साल का रहा। ट्रांसफर प्रशासकीय प्रक्रिया है, इसके पीछे की जानकारी वरिष्ठ अधिकारी ही दे सकते हैं। हालांकि, उनके तबादले को हाल ही में दर्ज हुए विवादास्पद मामले से जोड़ा जा रहा है।
सीईओ कार्यालय में मारपीट का मामला
3 सितंबर को दरोठिया ने भाजपा समर्थित जनपद सदस्य उमेश औसारी, सरपंच शिवप्रसाद दुबे, उनके रिश्तेदार दीपक तिवारी और अन्य के खिलाफ मारपीट व शासकीय कार्य में बाधा डालने का केस महू कोतवाली में दर्ज कराया था। दरोठिया ने आरोप लगाया कि चोरल में नाली की समस्या को लेकर ये लोग जनपद पंचायत कार्यालय पहुंचे और विवाद के बाद मारपीट की। उनके अनुसार, भाजपा नेताओं ने कार्यालय में लात-घूंसे मारकर हमला किया। करीब चार घंटे इंतजार के बाद पुलिस ने एफआईआर दर्ज की। अगले दिन एसडीएम राकेश परमार ने चोरल में तिवारी की दुकान का अवैध कब्जा हटवाया। बाद में औसारी, दुबे और तिवारी ने थाने में आत्मसमर्पण किया और जमानत ले ली।
कांग्रेस ने किया आंदोलन का ऐलान
इस प्रकरण के बाद कांग्रेस ने भी मोर्चा खोल दिया है। 14 सितंबर को चोरल में प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी के निर्देश पर बड़ा आंदोलन होगा। इसमें जौरा विधायक पंकज उपाध्याय, जिला अध्यक्ष विपिन वानखेड़े, ब्लॉक कांग्रेस, यूथ कांग्रेस और महिला कांग्रेस के पदाधिकारी शामिल होंगे। ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष अशोक सैनी ने आरोप लगाया कि क्षेत्र में कई जगह सरकारी जमीनों पर भाजपा नेताओं ने अवैध कब्जा कर रखा है, लेकिन पुलिस कार्रवाई नहीं कर रही।
धाराओं पर असंतोष
दरोठिया ने पुलिस द्वारा दर्ज की गई धाराओं पर असंतोष जताया है। उन्होंने कहा कि शासकीय सेवक से मारपीट जैसे गंभीर मामले में केवल शासकीय कार्य में बाधा की धारा लगाई गई। इस पर पुनः समीक्षा के लिए आवेदन दिया जाएगा।
दो साल में ही हुआ ट्रांसफर
दरोठिया का कार्यकाल 27 जून 2023 से शुरू हुआ था। आमतौर पर सीईओ को न्यूनतम तीन साल का कार्यकाल मिलता है, लेकिन महू में उनका ट्रांसफर केवल दो साल बाद ही कर दिया गया। इसे भाजपा नेताओं पर की गई एफआईआर से जोड़ा जा रहा है।