कर्नाटक के बाद MP में हिजाब पर विवाद, कॉलेजों में ड्रेस कोड के फैसले पर कांग्रेस ने उठाए सवाल

Wednesday, Jul 10, 2024-01:41 PM (IST)

भोपाल : मध्य प्रदेश की मोहन सरकार जल्द ही प्रदेश के सभी सरकारी और प्राइवेट कॉलेजों में समान यूनिफॉर्म (dress code) लागू करने के निर्देश दिए हैं। राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि ड्रेस कोड लागू होने के बाद अन्य किसी भी तरह की ड्रेस पर प्रतिबंध रहेगा। ड्रेस कोड क्या होगा और कैसा होगा यह कॉलेज तय करेगा। राज्य सरकार ने यह फैसला कर्नाटक समेत कई राज्यों में 'हिजाब विवाद' के बाद लिया है। सरकार के इस फैसले पर कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि हिजाब बुर्का पहनना है या नहीं ये लड़कियां तय करेंगी।
राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि नया यूनिफॉर्म कोड इस महीने के अंत में शुरू होने वाले नए शैक्षणिक सत्र से लागू होगा। उन्होंने बताया कि हमने राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू की है। सभी बातों को ध्यान में रखते हुए हम एक आदर्श ड्रेस कोड लागू करेंगे जिससे किसी वर्ग को आपत्ति नहीं होगी। हम समाज के सभी वर्ग के साथ कॉलेज में सकारात्मक को समझाते हुए और ड्रेस कोड के महत्व को बताते हुए हम ड्रेस कोड का उपयोग करेंगे। आशा है इसके सकारात्मक परिणाम आएगें।

उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि हम कॉलेज के छात्रों के बीच एकरूपता लाने की कोशिश कर रहे हैं। ड्रेस कोड के माध्यम से, स्टूडेंट अनुशासन सीखेंगे और समान व्यवहार प्राप्त करेंगे। क्योंकि वे एक जैसी ड्रेस पहनेंगे, इसलिए सभी छात्र एक जैसे दिखेंगे और छात्रों के बीच कोई भेदभाव नहीं होगा।

वहीं विपक्ष ने ड्रेस कोड को लेकर सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद का कहना है कि कर्नाटक में भी हिजाब विवाद बेवजह था। मोहन सरकार हिजाब और बुर्के को लेकर छींटाकशी करना चाहती है। इसे मध्यप्रदेश में पसंद नहीं किया जाएगा। लड़कियां अगर हिजाब पहन रही हैं तो इसमें बुराई क्या है। प्रतिबंध नहीं होना चाहिए, लड़की चुने कि हिजाब पहनना है या नहीं।

वहीं कांग्रेस प्रवक्ता कुणाल चौधरी ने कहा कि शिक्षा में गुणवत्ता लाना चाहिए। सरकार ड्रेस कोड जैसे मुद्दे लाकर शिक्षा और बेरोजगार जैसे मुद्दों लाकर छात्रों को भटका रहे हैं। बीजेपी सरकार ने कर्नाटक से कुछ नहीं सीखा है, जहां उन्होंने विधानसभा चुनाव से पहले हिजाब पर प्रतिबंध को एक बड़ा मुद्दा बनाया और चुनाव हार गए।


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meena

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