''ईसाई समाज के लोगों की एंट्री बैन''.. तेजी से बढ़ते धर्मांतरण को लेकर लोगों ने लिया फैसला

Monday, Sep 08, 2025-05:26 PM (IST)

कांकेर: छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में बढ़ते धर्मांतरण मामलों के बीच ग्रामीणों ने बड़ा फैसला लिया है। रविवार को 20 गांवों के समाज प्रमुखों ने सुलगी गांव में अहम बैठक की। बैठक में तय किया गया कि धर्मांतरण से प्रभावित हो रही रीति-रिवाज और आदिवासी संस्कृति को संरक्षित करने के लिए ईसाई समाज के लोगों का गांव में प्रवेश वर्जित किया जाएगा। इसके लिए ग्राम सभा में प्रस्ताव पारित कर सुलगी गांव के प्रवेश द्वार पर बोर्ड भी लगा दिया गया है।

गांव में धर्मांतरण की स्थिति                                                                      
मिली जानकारी के अनुसार, सुलगी गांव में 16 परिवार ने अन्य धर्म अपनाया है। इनमें से दो परिवार को वापस लाया गया, जबकि 14 परिवार अभी भी अन्य धर्म का पालन कर रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यह विरोध किसी धर्म विशेष के खिलाफ नहीं, बल्कि गांव के भोले-भाले लोगों के धर्मांतरण के खिलाफ है।

गांव के प्रवेश द्वार पर बोर्ड
बोर्ड में बताया गया है कि पेशा अधिनियम 1996 के नियम चार घ के तहत ग्रामीणों को सांस्कृतिक पहचान और रुढ़िवादी संस्कृति को संरक्षित करने का अधिकार प्राप्त है। बोर्ड में लिखा गया कि गांव में पास्टर, पादरी और बाहरी लोग धर्मांतरण के उद्देश्य से प्रवेश नहीं कर सकते।

कुडाल गांव से हुई शुरुआत
भानुप्रतापपुर ब्लॉक के कुडाल गांव में ग्रामीणों ने इसकी शुरुआत की। यहां लगभग 9 परिवारों ने धर्मांतरण किया था। 10 दिन पहले एक धर्मांतरित महिला की मौत के बाद कफन-दफन को लेकर विवाद हुआ था। इसके बाद ग्राम सभा ने पास्टर-पादरी का गांव में प्रवेश सख्ती से रोकने का प्रस्ताव पारित किया। इस निर्णय को भारतीय संविधान की पांचवीं अनुसूची के तहत ग्राम सभा को मिली संस्कृति और परंपराओं को संरक्षित करने के अधिकार के अंतर्गत लिया गया। इस तरह कांकेर जिले में ग्रामीणों ने धर्मांतरण रोकने और आदिवासी संस्कृति की सुरक्षा के लिए सख्त कदम उठाया है।


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Content Writer

Vikas Tiwari

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