लकड़ी तस्करों ने वनकर्मियों को बनाया बंधक, गाड़ी में बिठाकर ले गए गांव, बेरहमी से की पिटाई
Monday, Nov 17, 2025-03:38 PM (IST)
कोरबा : छत्तीसगढ़ के कोरबा में स्थित करतला वन परिक्षेत्र में वनकर्मियों पर लकड़ी तस्करों द्वारा किए गए हमले ने वन विभाग की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। बीते पखवाड़े से करतला इलाके में 38 हाथियों का झुंड विचरण कर रहा है, जिसकी लगातार निगरानी के लिए रामपुर सकिर्ल में वनपाल चमरू सिंह कंवर और बीट गार्ड गजाधर सिंह राठिया की ड्यूटी लगाई गई थी। गत शनिवार रात दोनों वनकर्मी गश्त पर थे, तभी उन्हें सूचना मिली कि जोगीपाली के कक्ष क्रमांक ओए 1464 मुड़धोवा पतरा जंगल में अवैध कटाई की लकड़ी ले जाई जा रही है। सूचना पर कारर्वाई करते हुए वनकर्मियों ने जंगल से निकल रहे एक ट्रैक्टर को रोका। ट्राली की तलाशी में तीन नग साल के लट्ठे बरामद हुए। ट्रैक्टर में गांव के मनाराम पटेल, अंकुश पटेल सहित आठ से दस अन्य लोग मौजूद थे।
घटना के बाद इस पूरे प्रकरण की सूचना आज मीडिया को दी गई है। लकड़ी पकड़े जाने से बौखलाए तस्करों ने वनकर्मियों से विवाद शुरू कर दिया और उनका मोबाइल छीन लिया। इसके बाद उन्होंने लाठी, डंडा और कुल्हाड़ी से हमला कर दोनों को बुरी तरह घायल कर दिया। इतना ही नहीं, वनपाल और बीट गार्ड को वाहन में जबरन बिठाकर गांव ले जाया गया, जहां तस्करों ने अपने रिश्तेदारों और अन्य ग्रामीणों को भी बुला लिया। गांव पहुंचते ही करीब 20-25 लोगों ने मिलकर वनकर्मियों की फिर से पिटाई शुरू कर दी। उनकी वर्दी फाड़ दी गई।
इसी बीच डिप्टी रेंजर किसी तरह भागने में सफल हुए, लेकिन तस्करों ने उनका पीछा कर उन्हें पकड़ लिया और निर्वस्त्र कर बेरहमी से पीटा। घटना की जानकारी मिलते ही वन विभाग के अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर पीड़ितों को सुरक्षित बाहर निकाला। बाद में थाना करतला में 12 से अधिक आरोपियों के खिलाफ अपराध दर्ज किया गया है।
इस पूरे मामले पर डीएफओ प्रेमलता यादव ने कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि विभाग जल्द से जल्द आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग करेगा और कारर्वाई नहीं होने पर आंदोलन की चेतावनी भी दी है। डीएफओ ने कहा, 'पीड़ित वनकर्मियों के साथ जाकर थाना करतला में औपचारिक शिकायत दर्ज कराई गई है। अवैध लकड़ी तस्करी में शामिल सभी आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी के लिए हमने पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन सौंपने की तैयारी कर ली है। यदि शीघ्र कारर्वाई नहीं होती है, तो वन विभाग उग्र आंदोलन करने को बाध्य होगा।'

