अंतिम सांस तक गुहार लगाती रही ''प्रधानमंत्री आवास की राशि नहीं मिली’, फिर अचनाक चल बसी

6/30/2020 7:57:47 PM

छतरपुर (राजेश चौरसिया): आवासहीन गरीब बेसहारा परिवारों को खुद का आशियाना मिले और अपनी छत के नीचे रह सकें यह कल्पना है देश के संवेदनशील प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जिन्होंने गरीबी का दंश बेहद करीब से देखकर योजना धरातल पर उतारी है। समूचे देश में अधिकतर राज्यों में परिणाम सकारात्मक आए मसलन बुन्देलखंड अंचल में शोषणवादी विचारधारा आज भी विद्यमान है। शहरी हो या ग्रामीण क्षेत्र प्रधानमंत्री आवास की राशि ऐसे मातहतों को बांट दी जिनके न सिर्फ निजी आशियाने हैं, बल्कि आलीशान बंगलों के मालिक भी गरीब उत्थान योजना को डकारने में पीछे नहीं रहे। मलाल इस बात का है कि वास्तविक पात्र हितग्राही जिनके उत्थान हेतु यह योजना अमल में लायी गयी, वह आज भी वंचितों की कतार में खड़े हैं।

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शोघित वंचितों की भलाई के लिये यूं तो मौजूदा भारत सरकार ने तमाम योजनाएं धरातल पर उतारीं, मसलन नस-नस में समाये भ्रष्टाचार की बदनियत ने आज भी गरीब कल्याण के बीच रोड़ा अटकाकर रखा है। जागरुकता का अभाव और राजनैतिक इच्छाशक्ति के बौनापन से छतरपुर जिला बुरीत रह से प्रभावित है। ऐसा ही मामला संज्ञान में आया है छतरपुर जिले की नौगांव जनपद की ग्राम पंचायत मऊसहानियां का जहां एक वृद्ध महिला प्रधानमंत्री आवास स्वीकृत कराने के लिये गुहार लगाते-लगाते स्वर्ग सिधार गयी। फिर भी पंचायत से लेकर जिले में बैठे शीर्ष अधिकारियों को लाज नहीं आयी।


ग्राम मउसहानियां की रहने वाली 80 वर्षीय जगरानी रैकवार बीते दिन लकवाग्रस्त होकर स्वर्ग सिधार गई। मृतक जगरानी का इकलौता पुत्र बृजबिहारी चूंकि परिवार भरण पोषण के लिये महानगर में रहता है, उन्होंने बताया कि पंचायत कर्मचारियों और पंचायत प्रमुख से उनकी मां ने अनेक बार प्रधानमंत्री आवास एवं शौचालय खुलवाने के लिये तमाम मिन्नतें कीं। परंतु आज तक किसी भी योजना का लाभ उन्हें नहीं मिल सका। बृजबिहारी के अनुसार उनकी मृतक मां जगरानी बराबर आवास और शौचालय की मांग पंचायत के अलावा ग्राम में आने वाले सभी अधिकारियों से करती रहीं। लेकिन इस वृद्ध महिला का कोई भी सहारा न बन सका।

यह तो महज एक भ्रष्टाचार की बानगी है। कमोवेश अधिकांश स्थलों की बेदर्द तस्वीरें आज भी विद्यमान हैं। जो बदनियत की कलई उजागर करती हैं। शहरी और ग्रामांचल में ऐसे धन्नासेठों को आवास योजना की राशि थमा दी गयी जिनके आलीशान भवन मौजूद हैं। फिर भी गरीब की थाली छीनना बुन्देलखंड के सामंतबाद का अहम हिस्सा है।


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Vikas kumar

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