दुर्ग: प्रिंसिपल ने छात्रों की चोटी-तिलक-रक्षा सूत्र पर की आपत्तिजनक टिप्पणी, तुरंत निलंबन!

Thursday, Sep 25, 2025-08:03 PM (IST)

दुर्ग। (हेमंत पाल): छत्तीसगढ़ के दुर्ग, स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट हिंदी माध्यम जेआरडी शासकीय बहुउद्देश्यीय उच्चतर माध्यमिक शाला, दुर्ग की प्राचार्या एस. संगीता नायर को छात्रों की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान से जुड़े प्रतीकों जैसे कि चोटी, तिलक और रक्षा सूत्र पर अनुचित टिप्पणियां करने के गंभीर आरोपों के चलते तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।

यह कार्रवाई राज्य शासन को मिली शिकायतों और प्रारंभिक जांच रिपोर्ट के आधार पर की गई है, जिसमें नायर पर छात्रों और स्कूल स्टाफ को मानसिक रूप से प्रताड़ित करने तथा संस्थान में असंतोष और तनाव का वातावरण उत्पन्न करने के आरोप लगाए गए हैं।

धार्मिक प्रतीकों पर टिप्पणी से भड़का मामला

शिकायतकर्ताओं का कहना है कि प्राचार्या नायर ने स्कूल के विद्यार्थियों की पारंपरिक पहचान विशेष रूप से लड़कों की चोटी, तिलक और रक्षा सूत्र को लेकर अवांछनीय टिप्पणियां कीं, जिससे बच्चों और उनके अभिभावकों की धार्मिक भावनाएं आहत हुईं।

इन टिप्पणियों को केवल बच्चों ने ही नहीं, बल्कि विद्यालय के अन्य कर्मचारियों ने भी आपत्तिजनक बताया। आरोप है कि उन्होंने अनावश्यक हस्तक्षेप और कटाक्षों के जरिए विद्यालय में एक दमनकारी और तनावपूर्ण वातावरण बना दिया था।

PunjabKesariछात्रों और स्टाफ में असंतोष, शासन ने लिया संज्ञान

लगातार मिल रही शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए छत्तीसगढ़ शासन ने मामले की जांच कराई और पाया कि प्राचार्या का यह व्यवहार छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1965 के स्पष्ट उल्लंघन की श्रेणी में आता है।

इन आरोपों को गंभीर कदाचार मानते हुए राज्य शासन ने छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) नियम, 1966 के तहत कार्रवाई करते हुए नायर को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है।

मुख्यालय किया स्थानांतरित, मिलेगा जीवन निर्वाह भत्ता

निलंबन के साथ ही शासन ने प्राचार्या नायर का मुख्यालय, अब कार्यालय संभागीय संयुक्त संचालक (शिक्षा संभाग), दुर्ग निर्धारित किया है। निलंबन की अवधि में उन्हें नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ता दिए जाने का भी प्रावधान किया गया है।

स्कूल का माहौल हुआ था खराब, छात्रों में भय का वातावरण

विद्यालय से जुड़े सूत्रों के अनुसार, पिछले कई महीनों से स्कूल में ऐसा माहौल था, जहां बच्चे अपने पहनावे, धार्मिक प्रतीकों और परंपरागत आचरण को लेकर सहज नहीं थे। कई बच्चों और उनके अभिभावकों ने स्कूल प्रबंधन से मौखिक रूप से भी शिकायतें की थीं कि हमें हमारे संस्कारों के लिए टोका जा रहा है।

शिक्षकों ने भी यह आरोप लगाए कि नायर की कार्यशैली तानाशाही पूर्ण थी और किसी भी विचार या सुझाव को खुलकर रखने की अनुमति नहीं थी।


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Content Editor

Himansh sharma

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