Rape का आरोपी और ABVP नेता शुभांग गोटिया की जमानत याचिका खारिज, “भैया इज बैक' के बैनर और पोस्टर पर सुप्रीम कोर्ट ने रद्द की जमानत, एक हफ्ते में सरेंडर करने के आदेश

5/6/2022 5:58:02 PM

जबलपुर: (विवेक तिवारी) अगर कोई आरोपी अदालत से जमानत मिलने के बाद यह सोच ले कि अब वह पूरी तरह से मुक्त है और जो मर्जी आए वह कर सकता है तो यह सोच उसके लिए घातक साबित हो सकती। सर्वोच्च न्यायालय ने जमानत पर रिहा दुष्कर्म के आरोपी और जबलपुर एबीवीपी के पूर्व नेता शुभांग गोटिया की जमानत को निरस्त करते हुए 1 हफ्ते के अंदर सरेंडर करने का आदेश जारी किया है। जमानत को निरस्त करने का आधार पोस्टरबाजी और बाहुबल का प्रदर्शन करना था, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने ना केवल तल्ख टिप्पणी कि बल्कि एक कड़ा संदेश भी आरोपियों को दिया है कि आप आरोपी हैं और अगर आप को जमानत पर रिहा किया जा रहा है तो आप जमानत की शर्तों का उल्लंघन भी ना करें। 

पोस्टर पर शीर्ष कोर्ट की सख्त टिप्पणी 

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमना, जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने दुष्कर्म के आरोपी शुभांग गोटिया को एक सप्ताह के अंदर सरेंडर करने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट से जमानत मंजूर होने पर आरोपी शुभांग गोटिया ने नर्मदा जयंती के अवसर पर शहर भर में ‘भैया इज बैक’ बैनर लगाए थे। इसे आधार बनाकर छात्रा की ओर से याचिका के माध्यम से उसकी जमानत निरस्त करने की सुप्रीम कोर्ट से मांग की थी। शुभांग गोटिया पर 23 साल की छात्रा से रेप का आरोप है। उसे नवंबर 2021 में जबलपुर हाईकोर्ट से जमानत मिल गई थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने शुभांग गोटिया को नोटिस जारी कर पूछा था कि क्यों न जमानत निरस्त कर दी जाए। तब कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी में पूछा था कि ये ‘भैया इज बैक’ बैनर क्यों हैं? क्या आप जश्न मना रहे हैं?

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आरोपी के पोस्टर के साथ स्वागत ने खींचा कोर्ट का ध्यान 

CJI एनवी रमना ने आरोपी के वकील से कहा- ये ‘भैया इज बैक क्या है? अपने भैया को कहिए कि एक हफ्ता सावधान रहें। मामले में मध्य प्रदेश सरकार से भी जवाब मांगा था। सुप्रीम कोर्ट में आरोपी शुभांग गोटिया को हाईकोर्ट से मिली जमानत को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए CJI एनवी रमना की अध्यक्षता वाली बेंच में आज इस मामले में फिर सुनवाई हुई। आरोपी का पोस्टर के साथ स्वागत किए जाने के बारे में अदालत के ध्यान में लाया गया था, जिसमें कहा गया था कि "भैया वापस आ गया है" और "जानेमन की भूमिका में आपका स्वागत है"

पोस्टरों में कैप्शन के साथ मुकुट व दिल के इमोजी का उपयोग

मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने कहा कि पोस्टरों पर कैप्शन के साथ-साथ मुकुट और दिल के इमोजी का उपयोग समाज में अभियुक्तों द्वारा संचालित शक्ति का संकेत देता है और उनके मन में भय पैदा करता है। शिकायतकर्ता ने कहा कि उसे निष्पक्ष सुनवाई नहीं मिलेगी। अदालत ने कहा, "सोशल मीडिया पर उनकी तस्वीरों के साथ टैग किए गए कैप्शन समाज में बलात्कार के आरोपी और उसके परिवार की श्रेष्ठ स्थिति और शक्ति और अपीलकर्ता/शिकायतकर्ता पर इसके हानिकारक प्रभाव को उजागर करते हैं।"

आरोपी का कृत्य, शिकायतकर्ता के मन में डर पैदा करने वाला

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि "एक गंभीर अपराध के लिए हिरासत में लिए जाने के दो महीने से भी कम समय में हिरासत से रिहा होने पर आरोपी और उसके समर्थकों के जश्न के मूड को बढ़ाते हैं। कम से कम दस साल की सजा का प्रावधान है जो आजीवन भी हो सकता है।" इस तरह के बेशर्म आचरण ने शिकायतकर्ता के मन में डर पैदा कर दिया है कि उसकी निष्पक्ष सुनवाई नहीं होगी और भौतिक गवाहों को प्रभावित करने की संभावना है। शीर्ष अदालत ने कहा कि नीचे की अदालत द्वारा दी गई जमानत को रद्द करने के लिए, उच्च न्यायालय को इस बात पर विचार करना चाहिए कि क्या कोई पर्यवेक्षण की स्थिति उत्पन्न हुई है।

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ये है पूरा मामला

28 साल के शुभांग गोटिया की दोस्ती 23 साल की छात्रा से 2018 में कॉलेज के दौरान हुई थी। धीरे-धीरे यह दोस्ती प्यार में बदल गई। शुभांग उसे कई जगह घुमाने ले गया। एक दिन उसने मांग में सिंदूर भरते हुए कहा कि अब वह उसकी पत्नी है। इसके बाद कई बार फिजिकल रिलेशन बनाए। जब छात्रा ने गोटिया से शादी करने की बात की तो वह मुकर गया।

परिवार वालों के साथ मिलकर जबरन कराया गर्भपात

छात्रा का ये आरोप भी था कि वह गर्भवती हुई तो परिवार वालों के साथ मिलकर उसका जबरन गर्भपात करा दिया। पीड़ित छात्रा ने जून 2021 में जबलपुर के महिला थाने में शुभांग गोटिया के खिलाफ रेप का मामला दर्ज कराया था। इसके बाद शुभांग फरार हाे गया। पुलिस ने उस पर 5 हजार रुपए का इनाम भी घोषित किया था। पुलिस उसे गिरफ्तार नहीं कर सकी। शुभांग ने महिला थाने पहुंचकर सरेंडर कर दिया था। उसे नवंबर 2021 में जबलपुर हाईकोर्ट से जमानत मिल गई थी।


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News Editor

Devendra Singh

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