जबलपुर में कोरोना का तांडव, SP अमित सिंह, कलेक्टर भरत यादव को वापस लाने की उठ रही मांग ​​​​​​​

Sunday, Sep 13, 2020-07:25 PM (IST)

जबलपुर (विवेक तिवारी): जबलपुर शहर में कोरोना से हालात बेकाबू हैं, व्यापारी वर्ग दहशत में हैं। व्यापारियों के सबसे बड़े संगठन जबलपुर चेंबर ऑफ कॉमर्स सहित कई व्यापारी संगठनों ने तीन दिन के लिए बंद है। शाम को पांच बजे प्रतिष्ठान बंद और साप्ताहिक बंद जैसे विकल्पों पर अमल करने की अपील करते हुए सर्कुलर जारी किया है, निजी अस्पतालों की मनमानियों से हालात और बदतर होने की कगार पर है, आस पड़ोस और परिचितों की कोरोना से हुई मौतों ने स्थिति को और चिंताजनक बना दिया है। ऐसे गंभीर हालात में प्रश्न उठना लाजिमी है की क्या शासन प्रशासन कोविड से पैदा हुए इन हालातों पर नियंत्रण कर पाने में असहाय महसूस कर रहा है? या फ़िर पूर्ववर्ती अनुभवी कलेक्टर भरत यादव और एसपी अमित सिंह के तबादलों के बाद से स्थितियां गंभीर हुई हैं? ये सवाल अब सब के मन में है, और जवाब में फिर से पुराने कलेक्टर औऱ एसपी को जिले में वापस लाने की मांग अब सोशल मीडिया में शुरू हो गई है, बाकायदा पुराने दोनों अधिकारी को वापस बुलाने के लिए पोस्टर सोशल मीडिया में वायरल हो रहे हैं।

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आइए समझते हैं जब दोनों अधिकारी थे तब जबलपुर का हाल...
जबलपुर में कोरोना के इन आंकड़ों से और भी ज्यादा बल मिलता है, कि दोनों अधिकारी की जोड़ी किस तरह से बेहतरीन कार्य कर रही थी। जिस दिन (20 अप्रैल) को जबलपुर पुलिस कप्तान अमित सिंह के तबादले का आदेश आया, उस दिन शाम तक़ जबलपुर शहर में कोरोना के कुल 27 केस और 1 मौत हुई थी। जबकि उसी दिन भोपाल और इंदौर जैसे शहरों की स्थिति जबलपुर से कहीं आगे थी। अमित सिंह के तबादले से शहर की वो एक बेहतरीन प्रशासनिक जोड़ी टूट गई। जिसने मिलकर शहर को कोरोना आपदा से बहुत हद तक़ संभाला हुआ था, और लोग घरों में सुकून की नींद सोते थे। SP अमित सिंह के जाने के बाद तत्कालीन कलेक्टर भरत यादव ने काफी मशक्कत करके तीन महीनों तक़ स्थितियों को संभाले रखा और उसे बेकाबू नहीं होने दिया। उसके तीन महीने के बाद रही सही कसर भी पूरी करते हुए कलेक्टर के भी तबादले का आदेश आ गया। 21 अगस्त को उनके तबादले वाले दिन जबलपुर में कोरोना की स्थिति कुल 2978 एक्टिव केस और मृत्यु की संख्या 61 थी और उसमें से 2168 मरीज सकुशल ठीक होकर अपने घरों को जा चुके थे। कुल एक्टिव केसेस की संख्या 749 थी। तब तक़ भी ना शहर में निजी अस्पतालों की मनमानियों से लोग हलाकान हुए थे और ना ही उनमें आज की तरह से दहशत का माहौल था, की लोग स्वैच्छिक लॉकडाउन जैसी सेल्फ़ डिफेंस थ्योरी लाने मजबूर हुए थे। इन दोनों शीर्ष अधिकारियों की अतिसक्रियता ही इनकी सबसे बड़ी खासियत थी, आप इन दोनों में किसी को भी कोई शिकायत या सुझाव वाट्सएप करते और उसके अगले ही कुछ सेकंडों में वो सुझाव या शिकायत उनके संज्ञान में होती थी, और उसके अगले ही दिन आप की उस शिकायत या सुझाव की प्रतिक्रिया आपके सामने होती थी। शहर की तंग गलियों से लेकर पॉश इलाकों तक़ इनकी ज़द में थे। इन दोनों की त्वरित निर्णय लेने की क्षमता कमाल की थी जिसका नतीजा था की कोरोना मामलों के ओपनिंग केसेस वाला शहर होने के बावजूद जबलपुर महीनों संभला हुआ था।।

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मुख्यमंत्री से वापस लाने की मांग
जबलपुर की  परिस्थितियों को देखते हुए शहर की जनता सभी जनप्रतिनिधियों से मांग कर रही है, वो मुख्यमंत्री से चर्चा करके इस जोड़ी को पुनः शहर लाने का निवेदन करें। जिससे की कोरोना महामारी से गंभीर तरीके से जूझ रहे जबलपुर शहर को इस आपदा से त्वरित और असरदार तरीके से निपटने के लिये इन दोनों आला अधिकारियों के अनुभव का इस्तेमाल हो सके। इसी तरह की मांग कांग्रेस महासचिव लक्ष्मी बेन ने भी की है, उन्होंने कहा है कि जबलपुर के हालात बेहद निकट है ऐसे में दोनों अधिकारियों को वापस लाया जाए। आपको बता दें कि जिस दिन जबलपुर कलेक्टर के रूप में कर्मवीर शर्मा की जॉइनिंग हुई थी उसके ठीक दूसरे दिन से ही उनका भी विरोध शुरू हो चुका है। बीजेपी के बड़े नेता उनके विरोध में हैं। उनकी कार्यशैली की आलोचना हो रही है। ऐसे में अब जनता भी आक्रोश में है और पुराने एसपी ओर कलेक्टर को वापस लाने की मांग की जा रही है।


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Vikas kumar

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