शिवप्रताप बुंदेला मामले की पूरे प्रदेश में गूंज, दफ्तरशाही की वो गलती जिसे पटवारी से कलेक्टर तक किसी ने नहीं सुधारा,अब CM की चेतावनी
Saturday, Oct 25, 2025-06:21 PM (IST)
(डेस्क): मध्य प्रदेश में एक मामला लगातार सुर्खियां बना हुआ है, जिसकी चर्चा लगातार हो रही है। बात हो रही है अशोकनगर के शिवप्रताप बुंदेला की। ये मामला सभी राजस्व अफसरों के लिए सबक की कहानी बन गया है। शिव प्रताप बुंदेला की जमीन का सरकारी परियोजना के लिए अधिग्रहण हुआ था लेकिन हैरानी की बात है कि 17.25 लाख रुपए का मुआवजा मिलने में पांच साल लग गए। जिसके बाद ये मामला सारे प्रदेश में छा गया।
17.25 लाख रुपए का मुआवजा मिलने में पांच साल लग गए
दरअसल ये एक छोटी सी दफ्तरशाही गलती थी लेकिन पटवारी से लेकर कलेक्टर तक किसी ने इसे नहीं सुधारा। मामला तब सुर्खियों में आया जब शिवप्रताप ने सीएम हेल्पलाइन में शिकायत दर्ज कराई। जांच में पता चला कि शुरुआती स्तर पर जमीन की फाइल में त्रुटि रह गई थी, लेकिन अफसरों ने उसे सुधारने की जहमत तक नहीं उठाई। शिवप्रताप तंग होते रहे और मुआवजे के लिए प्रताड़ित होते रहे।
सीएम हेल्पलाइन में शिकायत में होने के बाद मुख्यमंत्री मोहन यादव इस लापरवाही से खासे नाराज दिखे, उन्होंने तत्काल शिवप्रताप को 17.25 लाख रुपए की राशि देने के निर्देश दिए हैं। वहीं ये भी जानकारी सामने आ रही है कि राजस्व मामलों मे कई अफसरों को जमीन से जुड़े प्रकरणों का पर्याप्त कानूनी और जमीनी ज्ञान नहीं होता है। अनुभवी अधिकारियों की कमी और निचले स्तर के कर्मचारियों में प्रशिक्षण की कमी से ऐसी स्तिथि पैदा हो रही है। राज्य सरकार अब ऐसे सभी मामलों की ऑनलाइन ट्रैकिंग और जिम्मेदारी फिक्स करने की दिशा में काम कर रही है।
सीएम मोहन मामले को लेकर बेहद गंभीर
सीएम यादव ने इस केस को बेहद संजीदगी से लिया है और कहा है कि प्रदेश में भू-अर्जन से जुड़े सभी प्रकरण छह माह में निपटाए जाएंगे। ऐसा नहीं होने पर जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई होगी। उन्होंने साफ कर दिया है कि किसी भी तरह के बहाने स्वीकार नहीं किए जाएंगे
मुख्यमंत्री ने अशोकनगर मामले से सबक लेते हुए चेतावनी दी है। सीएम ने जवाबदेही तय करने की बात कही है और कहा है कि संबंधित पटवारी, आरआइ, तहसीलदार, एसडीएम से लेकर कलेक्टर तक, जिनकी भी लापरवाही सामने आएगी उन पर एक्शन होगा।

