IAS संतोष वर्मा का बयान पर स्पष्टीकरण,अंबेडकर ने जातिवाद खत्म करने के लिए समाज में रोटी-बेटी संबंध,अंतरजातीय विवाह ही असल उपाय बताए हैं

Monday, Nov 24, 2025-11:38 PM (IST)

इजहार खान): आरक्षण को लेकर ब्राह्मणों की बेटियों पर अजाक्स के प्रांतीय अध्यक्ष के विवादित बयान के बाद हंगामा मचा हुआ है। आईएएस अधिकारी संतोष वर्मा के बयान से हलचल मचते ही उन्होंने अपना बयान जारी करके स्पष्टीकरण दिया है।

उन्होंने अपने बयान पर कहा है कि भारत की सामाजिक संरचना लंबे समय तक जातिगत विभाजनों, ऊँच-नीच के भेदभाव और सामाजिक असमानता से प्रभावित रही है। संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर ने स्पष्ट कहा था कि जब तक जाति व्यवस्था का अंत नहीं होगा, तब तक भारत सच्चे अर्थों में लोकतांत्रिक राष्ट्र नहीं बन सकता।

उनकी विचारधारा का मूल सार था– सामाजिक न्याय, समरसता, बराबरी और बंधुत्व। यही कारण है कि डॉ. अंबेडकर ने कहा था — “Inter-caste marriage is the real remedy to destroy caste system.” अर्थात यदि जातिवाद को समाप्त करना है, तो समाज में रोटी-बेटी के संबंधों की स्वीकृति और अंतरजातीय विवाह जैसी प्रक्रियाएँ ही वास्तविक उपाय हैं।

आज शिक्षा, संवैधानिक जागरूकता और सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया के कारण भारतीय समाज तेजी से सकारात्मक बदलाव की ओर बढ़ रहा है। विचारशील, शिक्षित एवं बुद्धिवादी व्यक्ति जातिगत संकीर्णताओं को छोड़कर सामाजिक समरसता के मूल्यों को अपनाने लगे हैं। अंतरजातीय विवाह, सामाजिक मेलजोल, वैचारिक संवाद और आपसी सद्भाव के उदाहरण अनेक घरों, समुदायों और समाज में दिखाई देने लगे हैं। ये सभी बातें भारतीय संविधान की भावना को सशक्त करती हैं।

मध्य प्रदेश शासन ने भी इस दूरदर्शी सोच को स्वीकारते हुए “अनुलोम-विलोम विवाह योजना” लागू की है, जिसका उद्देश्य अलग-अलग जातियों के बीच वैवाहिक संबंधों को प्रोत्साहित करना, सामाजिक सद्भाव बढ़ाना, जातिवाद कम करना और राष्ट्रीय एकता को मजबूत बनाना है। यह योजना बाबा साहेब अंबेडकर की उस सोच का प्रत्यक्ष प्रमाण है जिसमें उन्होंने जाति आधारित विभाजन को सामाजिक रोग माना था। उन्होंने स्पष्ट कहा था — “I am convinced that the caste will vanish only when inter-caste marriages get social recognition.”

यह योजना न केवल सामाजिक एकता को बढ़ावा देती है बल्कि संविधान के उन अनुच्छेदों के अनुरूप भी है जो सामाजिक न्याय, समानता और भेदभाव रहित समाज की स्थापना की बात करते हैं।

अनुच्छेद 14 सभी नागरिकों को कानून के समक्ष समानता प्रदान करता है।

अनुच्छेद 15 और 16 जाति, धर्म, लिंग आदि के आधार पर किसी भी प्रकार के भेदभाव को निषिद्ध करते हैं।

अनुच्छेद 17 अस्पृश्यता को समाप्त करता है।

अनुच्छेद 21 विवाह और जीवन जीने की स्वतंत्रता देता है।

अनुच्छेद 38 सरकार को यह दायित्व देता है कि वह न्यायपूर्ण सामाजिक व्यवस्था स्थापित करे।

अनुच्छेद 51-A नागरिकों का नैतिक कर्तव्य बताता है कि वह आपसी सद्भाव, भाईचारा और समरसता को बढ़ावा दें।

 

इसी संवैधानिक सोच के अनुरूप AJAKS द्वारा 23 नवंबर 2025 को आयोजित प्रांतीय अधिवेशन में संतोष वर्मा (IAS), प्रांताध्यक्ष AJAKS मध्यप्रदेश ने सामाजिक समरसता, सद्भाव और जातिवाद उन्मूलन की दिशा में एक महत्वपूर्ण विचार रखा। उन्होंने कहा कि यदि समाज में जातिगत भेदभाव समाप्त करना है और हिंदू समाज में वास्तविक एकता स्थापित करनी है तो हमें रोटी-बेटी के संबंधों की स्वीकृति एवं सम्मानजनक स्वीकार्यता विकसित करनी होगी। यह विचार न केवल सामाजिक दृष्टिकोण से उचित है बल्कि संविधान और बाबा साहेब के सिद्धांतों की सच्ची व्याख्या भी है।

कुछ समाज विरोधी तत्व इस विचार को तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत कर समाज में भ्रम फैलाने, तनाव पैदा करने या वैमनस्य उत्पन्न करने का प्रयास कर रहे हैं। यह प्रवृत्ति न केवल समाज को विभाजित करती है बल्कि संविधान की मूल भावना—Equality, Fraternity, Unity—के भी विपरीत है। ऐसे तत्व संविधान निर्माता बाबा साहेब की विचारधारा, सामाजिक एकता और राष्ट्रीय समरसता के विरोधी हैं। AJAKS मध्य प्रदेश का विनम्र आग्रह है कि समाज ऐसे लोगों से सावधान रहे और संवैधानिक, सामाजिक एवं नैतिक रूप से एकता, भाईचारा और समरसता की राह पर चले।

 

बाबा साहेब ने दृढ़ शब्दों में कहा था –

 - “We must stand united not only as Hindus, but as human beings—beyond caste, creed, and birth.”

-“Cultivation of mind should be the ultimate aim of human existence.”

- “I want all people to be Indians first, Indians last, and nothing else but Indians.”

यदि भारतीय समाज संविधान की भावना और बाबा साहेब के मार्गदर्शन को अपनाकर रोटी-बेटी के संबंधों की समरस परंपरा को स्वीकार कर ले, तो जाति व्यवस्था स्वतः समाप्त हो सकती है। यही समरस समाज का निर्माण करेगा, यही वास्तविक हिंदू एकता का मार्ग है, यही सामाजिक न्याय और राष्ट्रीय एकता का आधार है। समाज विरोधी तत्वों से सावधान रहें, जो समाज का वातावरण दूषित कर समाज में सोहार्द बिगाड़ना चाहते हैं ।


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Content Editor

Desh sharma

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