एक-एक करके 40 बकरे काट डाले, सभी का खून पी गया बैगा, जानिए 500 साल पुरानी परंपरा के बारे में

Tuesday, Oct 07, 2025-06:12 PM (IST)

रायगढ़: छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में शरद पूर्णिमा के अवसर पर मानकेश्वरी देवी मंदिर में एक अनोखी और विवादास्पद परंपरा देखी गई। स्थानीय आदिवासी बैगा ने 40 बकरों की बलि दी और उनका खून पीया। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। मंदिर रायगढ़ जिला मुख्यालय से लगभग 27 किलोमीटर दूर करमागढ़ में स्थित है और मां मानकेश्वरी देवी को रायगढ़ राजघराने की कुल देवी माना जाता है। श्रद्धालुओं के अनुसार, बलि पूजा दोपहर के बाद शुरू हुई, जिसमें सैकड़ों लोग शामिल हुए।

PunjabKesari , Chhattisgarh, Raigarh, Sharad Purnima, Manakeshwari Devi Temple, Human Sacrifice, Goat Sacrifice, Tribal Ritual, Ancient Tradition, Indian Temple Rituals, Religious Ceremony, Viral Video, Spiritual Beliefs

ग्रामीण बताते हैं कि यह परंपरा करीब 500 सालों से चली आ रही है। पहले 150-200 बकरों की बलि दी जाती थी, लेकिन कोविड के बाद संख्या घटकर लगभग 100 हो गई और इस बार केवल 40 बकरों की बलि दी गई। मानकेश्वरी देवी पूजा समिति के पूर्व अध्यक्ष युधिष्ठिर यादव ने बताया कि बलि पूजा से एक रात पहले निशा पूजा विधिपूर्वक की जाती है। पूजा के दौरान राज परिवार द्वारा बैगा के अंगूठे में एक ढीली अंगूठी पहनाई जाती है, जो बलि पूजा के समय पूरी तरह कस जाती है। इससे माना जाता है कि देवी का वास बैगा के शरीर में हो गया है। इसके बाद श्रद्धालु बैगा के पैर धोते हैं और सिर पर दूध डालकर पूजा करते हैं।

PunjabKesari, Chhattisgarh, Raigarh, Sharad Purnima, Manakeshwari Devi Temple, Human Sacrifice, Goat Sacrifice, Tribal Ritual, Ancient Tradition, Indian Temple Rituals, Religious Ceremony, Viral Video, Spiritual Beliefs

श्रद्धालु रायगढ़ के अलावा आसपास के जिलों और ओडिशा से भी यहां आते हैं। अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति होने पर वे बकरा और नारियल चढ़ाते हैं। स्थानीय लोग बताते हैं कि बलि और खून पीने के बाद भी बैगा के शरीर में कोई साइड इफेक्ट नहीं दिखता। यह परंपरा धार्मिक आस्था और लोक संस्कृति का हिस्सा है, लेकिन पशु बलि के कारण इसे विवादास्पद भी माना जाता है।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Vikas Tiwari

Related News