सिरप कांड पर अब तक का सबसे बड़ा खुलासा, Coldrif पर 2 साल पहले ही लग चुकी थी रोक, फिर भी बेची जा रही थी
Thursday, Oct 09, 2025-01:04 PM (IST)

भोपाल: कफ सिरप से मासूम बच्चों की मौत के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। जिस कफ सिरप (Coldrif) के सेवन से बच्चों की जानें गईं, वह उसी फार्मूले से तैयार की गई थी, जिसे केंद्र सरकार ने दो साल पहले ही चार वर्ष तक के बच्चों के लिए प्रतिबंधित कर दिया था।
केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने 18 दिसंबर 2023 को सभी राज्यों को आदेश जारी किया था कि क्लोरफेनिरामाइन मेलिएट IP 2mg और फेनाइलफ्राइन HCl IP 5mg वाले कॉम्बिनेशन सिरप को चार साल तक के बच्चों को न दिया जाए। आदेश फाइल नंबर 04-01/2022-DC के तहत ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया डॉ. राजीव सिंह रघुवंशी द्वारा जारी किया गया था। आदेश में स्पष्ट निर्देश थे कि इस कॉम्बिनेशन वाले सिरप की बोतल पर चेतावनी लेबल लगाया जाए और विज्ञापनों में भी सावधानी का उल्लेख किया जाए, लेकिन इन निर्देशों का पालन नहीं किया गया।
तमिलनाडु सरकार ने कंपनी सील की
कफ सिरप से हुई मौतों के बाद तमिलनाडु सरकार ने कांचीपुरम स्थित एक फार्मास्युटिकल कंपनी श्रीसन (Srisan) को सील कर दिया है। यह कार्रवाई Coldrif कफ सिरप के नमूनों में मिलावट पाए जाने के बाद की गई। तमिलनाडु खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग ने 4 अक्टूबर को सिरप को “मिलावटी और खतरनाक” घोषित किया था।
MP सरकार ने उठाए सवाल
मध्य प्रदेश स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने कहा कि तमिलनाडु के ड्रग कंट्रोलर ने अब तक यह स्पष्ट नहीं किया कि जहरीले सॉल्वेंट का निर्माण किस कंपनी ने किया, उसकी कितनी मात्रा बनी और किन राज्यों को सप्लाई की गई। मप्र सरकार ने बुधवार को इस पूरे मामले की विस्तृत रिपोर्ट केंद्र को भेज दी है।
1,470 कंपनियों के पास नहीं है WHO प्रमाणपत्र
केंद्र सरकार ने दवा कंपनियों के लिए WHO प्रमाणपत्र अनिवार्य किया था। देशभर की 5,308 फार्मा कंपनियों में से 1,470 कंपनियों ने अब तक आवेदन भी नहीं किया है, जिससे नियामक निगरानी पर गंभीर सवाल उठे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भारतीय अधिकारियों से Coldrif सिरप के निर्यात को लेकर जानकारी मांगी है। WHO ने पूछा है कि क्या यह सिरप किसी अन्य देश में भेजा गया था, ताकि जरूरत पड़ने पर वैश्विक अलर्ट जारी किया जा सके।
सवालों के घेरे में तमिलनाडु की दवा कंपनी और निगरानी व्यवस्था
केंद्र और राज्य सरकारों के आदेशों के बावजूद प्रतिबंधित कॉम्बिनेशन वाली दवाओं का निर्माण और वितरण जारी रहना निगरानी तंत्र की विफलता को उजागर करता है। स्वास्थ्य एजेंसियों ने अब इस मामले में सख्त कार्रवाई और सिस्टम की समीक्षा की मांग की है।