हार का इनाम? कांग्रेस में चुनाव हारने वालों की चल रही ‘लॉटरी’, रीना बौरासी की ताजपोशी से मचा हंगामा
Friday, Nov 21, 2025-02:16 PM (IST)
भोपाल। मध्य प्रदेश कांग्रेस में कुछ अलग ही होता दिख रहा है। यहां हारने वाले नेता ही लगातार बाज़ीगर बनते जा रहे हैं। ताज़ा मामला महिला कांग्रेस की नई प्रदेश अध्यक्ष नियुक्ति को लेकर सामने आया है, जिसने पार्टी के अंदर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। इंदौर के सांवेर से 2023 विधानसभा चुनाव हार चुकी रीना बौरासी को महिला कांग्रेस का नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है। करीब एक महीने पहले महिला कांग्रेस की प्रदेश कार्यकारिणी घोषित हुई थी, जिसके बाद अचानक यह नियुक्ति की गई। बताया जा रहा है कि आदेश दिल्ली से आया, लेकिन अंदरखाने चर्चा यह है कि इसमें मध्यप्रदेश के कुछ प्रभावशाली नेताओं की बड़ी भूमिका है, जो सत्ता में रहने के दौरान भी पॉवर सर्कल में प्रभावशाली रहे हैं।
बिना आम सहमति के नियुक्ति, कई वरिष्ठ नेता नाराज़
सूत्रों की मानें तो कई बड़े नेता इस नियुक्ति से सहमत नहीं थे, लेकिन एआईसीसी से आदेश आने के बाद वे चुप हैं। विपक्षी धड़े का आरोप है कि इस कदम से उन महिला नेताओं की अनदेखी हुई है, जो वर्षों से जमीनी स्तर पर सक्रिय हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि कांग्रेस का फोकस मालवा-निमाड़ क्षेत्र पर ज्यादा है—जहां 66 विधानसभा सीटें हैं, लेकिन पिछले चुनाव में कांग्रेस केवल 17 सीटें ही जीत सकी थी। ऐसे में इस क्षेत्र से फिर किसी हारने वाले चेहरे को जिम्मेदारी देना कई सवाल खड़े कर रहा है।
कांग्रेस में चुनाव हारकर भी बढ़ता कद: 4 बड़ी मिसालें
महिला कांग्रेस के इतिहास पर नज़र डालें तो पिछले एक दशक में जिन नेताओं को शीर्ष पद दिया गया, उनमें से लगभग सभी चुनाव हार चुकी थीं। इनमें शामिल हैं—
विभा पटेल – 2013 में गोविंदपुरा से हारीं, 2022 में महिला कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बनीं
अर्चना जायसवाल – दो बार प्रदेश अध्यक्ष रहीं, नगर निगम मेयर पद का चुनाव भी हार गईं
शोभा ओझा – 2008 में इंदौर-5 से चुनाव लड़ा, हार मिली, फिर भी राष्ट्रीय व प्रदेश स्तर पर अहम पद मिला
रीना बौरासी – 2023 में हार, 2025 में प्रदेश अध्यक्ष की ताजपोशी
कांग्रेस के भीतर यह ट्रेंड लगातार चर्चा का विषय बना हुआ है।
युवा कांग्रेस भी मैदान में, प्रदर्शन के बाद पदभार संभालेंगे यश घनघोरिया
इधर यूथ कांग्रेस भी सक्रिय मोड में है। नए निर्वाचित प्रदेश अध्यक्ष यश घनघोरिया पदभार संभालने से पहले अपनी ताकत दिखाने जा रहे हैं।
27 नवंबर को भोपाल में एसआईआर प्रक्रिया को लेकर निर्वाचन आयोग का घेराव किया जाएगा। इसमें राष्ट्रीय अध्यक्ष समेत बड़े नेता मौजूद रहेंगे। बताया जा रहा है कि 27 या 28 नवंबर को यश औपचारिक रूप से पदभार ग्रहण करेंगे। इसके अगले दिन प्रदेश यूथ कांग्रेस की बैठक में एक साल का रोडमैप तय होगा।
प्रदर्शन के बाद वरिष्ठ नेताओं और विधायकों की बैठक भी होगी, जिसमें 1 दिसंबर से शुरू होने वाले शीतकालीन सत्र पर रणनीति बनेगी।
कांग्रेस में हार चुके नेताओं को नेतृत्व की कमान सौंपने का सिलसिला अब राजनीतिक बहस का बड़ा मुद्दा बन गया है। महिला कांग्रेस की नई नियुक्ति ने इसे और तेज कर दिया है।
सवाल यह है—
क्या कांग्रेस हारने वालों पर दांव लगाने की रणनीति अपना रही है, या यह आंतरिक राजनीति का परिणाम है?
यह समय बताएगा कि यह निर्णय कांग्रेस को फायदा पहुँचाएगा या फिर एक और विवाद खड़ा करेगा।

