दुर्ग जिले में अधूरी रह गई जल जीवन मिशन की तस्वीर: टंकी है, पाइप है... लेकिन पानी नहीं!
Saturday, Sep 20, 2025-03:15 PM (IST)

दुर्ग। (हेमंत पाल): सरकार द्वारा गांव-गांव तक स्वच्छ पेयजल पहुंचाने के उद्देश्य से शुरू की गई जल जीवन मिशन का हाल छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले, विशेषकर धमधा ब्लॉक के ग्रामीण इलाकों में बेहद निराशाजनक है। कागजों में मिशन को सफल बताया जा रहा है, लेकिन हकीकत में गांवों की प्यास अब भी बुझ नहीं पाई है।
नल जल योजना बनी सिर्फ शोपीस
धमधा ब्लॉक के सैकड़ों गांवों में सरकारी फाइलों के अनुसार जल जीवन मिशन के अंतर्गत हर घर नल से जल पहुंचना था। लेकिन ज़मीनी हकीकत यह है कि: पाइपलाइन तो बिछा दी गई, लेकिन नलों से पानी नहीं टपकता। कई घरों में सिर्फ नल जोड़ दिए गए, जो अब धूल खा रहे हैं। कहीं टंकी बनी है, लेकिन उसमें पानी नहीं है।
गांवों की लंबी सूची, समस्याएं एक जैसी
धमधा ब्लॉक के जिन गांवों में यह स्थिति देखी गई है, उनमें प्रमुख हैं:
धुमा ,घोटवानी,रौंदा,पारसकोल ,नवागांव,मुड़पार ,सुखरी,बीरोभाठ
इन गांवों में या तो पानी की टंकियां बनी हैं लेकिन संचालन शुरू नहीं हुआ, या फिर पाइपलाइन बिछा दी गई है लेकिन बोर से सीधे जोड़कर खानापूर्ति कर दी गई है।
बरसात में भी प्यासे ग्रामीण!
विडंबना यह है कि जब पूरे प्रदेश में बरसात का मौसम चल रहा है और जल स्रोत भरपूर हैं, तब भी इन गांवों के लोग पानी के लिए संघर्ष कर रहे हैं। स्थिति इतनी गंभीर है कि कई गांवों में महिलाओं और बच्चों को रोज़ाना दूर-दूर तक पानी लाने के लिए जाना पड़ रहा है।
पानी टंकी खुद "प्यास" से कराह रही
बड़े बजट से बनी पानी टंकियां, जिनसे सैकड़ों घरों तक जल पहुंचना था, आज खुद सूनी हैं। कई टंकियों में महीनों से पानी भरा ही नहीं गया, और जो टंकियां चालू हैं, उनका संचालन अनियमित है।
प्रशासन की चुप्पी, जवाबदेही पर सवाल
स्थानीय प्रशासन इस विषय पर कुछ भी स्पष्ट कहने से बच रहा है। अधिकारियों के अनुसार:
कुछ स्थानों पर लाइनिंग कार्य अधूरा है।
कुछ जगहों पर बिजली कनेक्शन नहीं मिला है।
कहीं ठेकेदारों ने अधूरे काम छोड़ दिए हैं।
लेकिन सवाल यह है कि यदि कार्य अधूरा था, तो उद्घाटन और प्रचार किस बात का हुआ? और जब मिशन सफल दिखाया जा रहा है, तो असल में पीने का पानी क्यों नहीं मिल रहा?
जल जीवन मिशन या भ्रष्टाचार जीवन मिशन?
इस स्थिति ने जल जीवन मिशन को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं:
क्या यह योजना केवल आंकड़ों और प्रचार तक सीमित रह गई है?