MP: मूंग फसल में महा गड़बड़ घोटाला! कागजों में रचे खेल से हुआ बड़ा खुलासा
Friday, Sep 19, 2025-04:43 PM (IST)

लखनादौन (पवन डेहरिया) : मध्य प्रदेश में एक और बड़े भ्रष्टाचार का एक बड़ा सामने आया है। जहां सिवनी जिले में राजस्व विभाग नए घोटाले को लेकर सुर्खियों में है। बीते वर्ष केवलारी तहसील में सर्प घोटाले के बाद अब जिले के लखनादौन तहसील में मूंग फसल घोटाला सामने आ रहा है। सिवनी जिले के लखनादौन तहसील में बीते समय सेवा सहकारी समिति के माध्यम से किसानों से मूंग की फसल सरकारी डैम में खरीदी गई जिसमें किसानों के रजिस्ट्रेशन के बाद खरीदी की जाती है। रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया के अनुसार राजस्व विभाग का पटवारी गिरदावरी करते हैं। उसके बाद ही किसान का सहकारी समिति में पोर्टल के माध्यम से रजिस्ट्रेशन होता है पर लखनादौन में किसानों ने शपथ पत्र देते हुए बताया कि ना ही तो उन्होंने रजिस्ट्रेशन किया और ना ही गिरदावरी में पटवारी को बताया कि उन्होंने मूंग की फसल लगाई है पर व्यापारियों के साथ मिलकर पथरीली जमीन की गिरदावरी कर दी गई और किसान की जानकारी के बिना ही रजिस्ट्रेशन हो गया इतना ही नहीं किसान के नाम पर खरीदी प्रभारी ने मूंग की फसल तोलक भी ली।
शपथ पत्र देते हुए किसान कमलेश कुमार यादव ने बताया कि उसके द्वारा 5.233 सेक्टर भूमि किराए पर ली गई जिसमें दो हेक्टेयर भूमि पर ही फसल लगाई गई जबकि फर्जी तरीके से दस्तावेज लगाकर 100 क्विंटल मूंग का पंजीयन आदिम जाति सहकारी समिति के द्वारा कर दिया गया। कहा जा सकता है कि रबी ग्रीष्मकालीन मूंग खरीदी के नाम पर करोड़ों का महाघोटाला हुआ है। ये पूरा खेल कागजों पर रचा गया। ताकि बाजार से 5,500 से 6,000 रुपये क्विंटल की घटिया मूंग खरीदकर उसे सरकारी समर्थन मूल्य यानी 8,682 रुपये क्विंटल पर बेचा जा सके।"
"इस मामले में आदिम जाति सेवा सहकारी समिति के प्रबंधक तुलसीराम डेहरिया पर गंभीर आरोप लगे हैं। लेकिन उन्होंने जांच का रुख राजस्व विभाग की ओर मोड़ दिया है।" सहकारी समिति प्रबंधक तुलसीराम डेहरिया का कहना है कि "किसान का पंजीयन गिरदावरी के आधार पर होता है और हम तो वही फसल खरीदते हैं जो पंजीकृत होती है। इसमें मुख्य रूप से राजस्व विभाग की भूमिका है।"
"वहीं, किसान रामकुमार रजक ने आरोप लगाया है कि उनकी ज़मीन पर न तो सिंचाई का साधन है और न ही मूंग की कोई फसल बोई गई। बावजूद इसके, उनके नाम से 100 क्विंटल मूंग का फर्जी पंजीयन कर समिति को बेच दिया गया।" उन्होंने कहा कि "मेरे नाम से फर्जी दस्तावेज़ बनाकर मूंग बेच दी गई...जबकि मेरी ज़मीन पर कोई फसल ही नहीं हुई। ये सब पूरी तरह से धोखाधड़ी है।" "चौंकाने वाली बात ये है कि जिस ज़मीन पर मूंग की बंपर पैदावार का दावा किया गया, वहां न तो उपजाऊ मिट्टी है और न ही सिंचाई की सुविधा है। चर्च प्रबंधन ने भी साफ कर दिया है कि उन्हें अपनी ज़मीन पर किसी मूंग की खेती की जानकारी ही नहीं।
वहीं कृषि विस्तार अधिकारी का कहना है कि "इस इलाके में 10,000 क्विंटल मूंग की खरीदी का दावा किया गया है लेकिन जमीनी हकीकत ये है कि इतनी पैदावार संभव ही नहीं। असल गड़बड़ झमेला गिरदावरी प्रक्रिया में है। क्योंकि पटवारी ने फर्जी तरीके से मूंग दर्शा दी।" "यानि मामला केवल मूंग की खरीदी तक सीमित नहीं है, बल्कि इसकी जड़ें फसल पंजीयन और गिरदावरी की प्रक्रिया से जुड़ी हैं।"
"फिलहाल इस पूरे मामले में एसडीएम लखनादौन ने जांच टीम गठित कर दी है। अलग-अलग विभागों के अधिकारी अब जमीनी स्तर पर जांच करेंगे। प्रशासन का कहना है कि दोषियों की पहचान कर सख्त कार्रवाई की जाएगी।" "अब देखना होगा कि करोड़ों के इस कथित घोटाले की परतें खुलने के बाद आखिर किन-किन चेहरों से नकाब उठता है। और क्या वाकई दोषियों को सजा मिल पाएगी या मामला फिर फाइलों में दब जाएगा।"